DESK : बिहार में लागू शराब बंदी कानून पर पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से कड़े तेवर दिखाए हैं. मांझी ने रनाटांड़ में भारतीय थारू कल्याण महासंघ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य के पढ़े-लिखे लोग यहां तक कि डाक्टर-इंजीनियर, मंत्री विधायक भी रात 10 बजे के बाद शराब पीते हैं. लेकिन पकड़े सिर्फ गरीब जाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं शराबबंदी का पक्षधर हूं. लेकिन इसमें संशोधन की जरूरत है.
मांझी ने कहा कि बापू की धरती गुजरात में लंबे समय से शराब बंद है लेकिन वहां सीमित मात्रा में शराब बिकती है. बिहार में भी कुछ इस तरह की ही व्यवस्था होनी चाहिए. आदिवासी और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोग देवी-देवताओं को पूजा के दौरान शराब चढ़ाते हैं. इसलिए शराबबंदी कानून पर सरकार को विचार करना चाहिए. शराबबंदी गरीबों के लिए काला कानून बन कर रह गया है. उन्होंने कहा कि हम नीतीश कुमार के सच्चे साथी हैं इसलिए उन्हें सच बताते हैं. जहां कहीं गड़बड़ होती है, हम उनको बताते हैं.
इसके आगे मांझी ने कहा कि एक बोतल शराब के साथ पकड़े जाने वाले लोगों को जेल में डाल दिया जाता है. इसपर विचार करने की जरूरत है. सौ -दो सौ लीटर शराब के साथ पकड़े जाने वाले लोग जेल भेजे जाएं. अपने लिए एक बोतल शराब खरीदने वालों को जेल भेज देना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून की समीक्षा के बाद सिर्फ गरीबों की पकड़ा धरी हो रही है.