Bhojpur News: बड़हरा से 5000 तीर्थयात्रियों को भेजने के संकल्प की नई कड़ी, अजय सिंह ने बलुआ से जत्था किया रवाना Bhojpur News: बड़हरा से 5000 तीर्थयात्रियों को भेजने के संकल्प की नई कड़ी, अजय सिंह ने बलुआ से जत्था किया रवाना Bihar Politics: युवा चेतना प्रमुख रोहित कुमार सिंह का लालू यादव पर बड़ा हमला, राहुल गांधी के समर्थन को बताया बिहार का अपमान Bihar Politics: युवा चेतना प्रमुख रोहित कुमार सिंह का लालू यादव पर बड़ा हमला, राहुल गांधी के समर्थन को बताया बिहार का अपमान Bihar News: बिहार में मां और दो बेटियों की दर्दनाक मौत, तालाब में डूबने से गई तीनों की जान Bihar News: बिहार में मां और दो बेटियों की दर्दनाक मौत, तालाब में डूबने से गई तीनों की जान Bihar Politics: ‘देश में वोट की चोरी कर बनाई जा रही सरकार’ सासाराम की जनसभा में बोले मुकेश सहनी Bihar Politics: ‘देश में वोट की चोरी कर बनाई जा रही सरकार’ सासाराम की जनसभा में बोले मुकेश सहनी Bihar Politics: ‘जन सुराज के डर से राहुल गांधी को करनी पड़ रही यात्रा, टेंशन में NDA’ समस्तीपुर में बोले प्रशांत किशोर Bihar Politics: ‘जन सुराज के डर से राहुल गांधी को करनी पड़ रही यात्रा, टेंशन में NDA’ समस्तीपुर में बोले प्रशांत किशोर
1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Thu, 03 Aug 2023 06:49:59 PM IST
- फ़ोटो
PATNA : बिहार सरकार में नीतीश के काफी करीबी माने जाने वाले मंत्री श्रवण कुमार ने नीतीश कुमार को लेकर बड़ा दावा किया है. श्रवण कुमार कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के कई लोकसभा क्षेत्रों में नीतीश कुमार की लहर चल रही है. वहां के लोग गुहार लगा रहे हैं कि नीतीश जी उत्तर प्रदेश से आकर चुनाव लड़ लें. यूपी के फूलपुर, जौनपुर, अबेंडकर नगर, प्रतापपुर जैसे कई सीटों से नीतीश को चुनाव लड़ाने की भारी डिमांड आ रही है. इसी बीच बिहार सरकार में एक और मंत्री विजेंद्र यादव ने बयान दे दिया है कि नीतीश कुमार देश के जिस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे तो जीत जायेंगे, वे कभी चुनाव हारे ही नहीं हैं.
ये जेडीयू के नेताओं के दावे हैं. लेकिन जो तथ्य हैं वो ये बताते हैं कि दावे हास्यास्पद हैं. नीतीश कुमार किसी सूरत में उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने नहीं जा सकते हैं. वहां उनकी पार्टी की ऐसी बुरी हालत हो चुकी है, जैसा शायद ही किसी दूसरी पार्टी का हुआ होगा. आंकड़ों के सहारे समझिये कि कैसे नीतीश कुमार को लेकर उनके मंत्री हवा हवाई दावे कर रहे हैं.
नीतीश ने यूपी में अपनी पार्टी की भद्द ही पिटवाई है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का देश का नेता बनने का सपना कोई नया नहीं है. बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव में जब जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन को भारी बहुमत मिला था तो उसी वक्त से नीतीश के मन में देश को लेकर सपने आने शुरू हुए थे. 2010 के बाद से नीतीश कुमार ने बिहार के बाहर के राज्यों में अपनी पार्टी जेडीयू को जोर आजमाइश करने के लिए उतारना शुरू कर दिया था.
नीतीश कुमार ने अपनी अगुआई में पहली दफे 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू को मैदान में उतारा था. जेडीयू ने सारी ताकत लगाकर उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 219 पर उम्मीदवार उतारा था. हाल ये था कि बिहार के तमाम जेडीयू विधायकों, विधान पार्षदों, सांसदों के साथ साथ छोटे-बड़े सारे नेताओं को महीने भर के लिए उत्तर प्रदेश में लगा दिया गया था. खुद नीतीश कुमार कई जगहों पर प्रचार करने गये. लेकिन चुनाव परिणाम ने नीतीश के हसीन सपनों को रौंद दिया था. 219 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जेडीयू एक भी सीट पर जमानत तक नहीं बचा पायी थी. हद देखिये कि जिन सीटों पर खुद नीतीश कुमार चुनाव प्रचार करने गये थे, वहां उनकी पार्टी के उम्मीदवार को 200-300 वोट आये थे. जेडीयू को कुल मिलाकर 0.36 परसेंट वोट मिले थे. यानि आधा परसेंट वोट भी नहीं मिला.
2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में ऐसी बुरी हालत होने के बाद भी नीतीश कुमार के मन से उत्तर प्रदेश में जनाधार बढ़ाने का ख्वाब नहीं उतरा. उनकी पार्टी ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भी खूब तैयारी की. लेकिन 2017 में ही नीतीश कुमार ने बिहार में पाला बदला था. हालांकि उससे पहले उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो चुके थे. लेकिन नीतीश पहले से बीजेपी के संपर्क में थे. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने एलान कर दिया कि उनकी पार्टी यूपी में चुनाव नहीं लड़ेगी.
2022 में भी भद्द पिटी
उसके बाद जेडीयू ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी. बिहार में जेडीयू का गठबंधन बीजेपी के साथ था. नीतीश की पार्टी ने बीजेपी से मांग की कि वह उत्तर प्रदेश में भी गठबंधन कर ले. नीतीश कुमार की पार्टी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश की 51 विधानसभा सीटों पर उसकी पकड़ बेहद मजबूत है और बीजेपी ये सीट उसे दे. लेकिन बीजेपी ने जेडीयू की मांग का कोई नोटिस ही नहीं लिया. इसके बाद जेडीयू ने अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया.
बीजेपी से 51 सीटें मांग रही जेडीयू को 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 51 उम्मीदवार तक नहीं मिल पाया. नीतीश की पार्टी ने यूपी में कुल 27 सीट पर चुनाव लड़ा. जब रिजल्ट आया तो 27 में से 26 सीट पर जमानत जब्त हो गयी. सिर्फ एक सीट पर जमानत बची. वह भी इसलिए क्योंकि उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया धनंजय सिंह को जब बीजेपी ने कोई भाव नहीं दिया तो वह जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ गया. धनंजय सिंह पहले भी दो टर्म विधायक के साथ साथ सांसद रह चुका है. धनंजय सिंह की अपनी व्यक्तिगत पकड़ के कारण उत्तर प्रदेश की मल्हनी सीट पर जेडीयू की जमानत बच गयी. बाकी सारे सीटों पर हजार वोट आने पर भी आफत पड़ी. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू को कुल मिलाकर 0.11 परसेंट वोट मिले थे.
इसी मजबूत जनाधार के सहारे हो रहा दावा?
उत्तर प्रदेश में जेडीयू का कितना मजबूत जनाधार है, ये आंकड़े बता रहे हैं. सवाल ये उठता है कि क्या इसी मजबूत जनाधार के सहारे नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जायेंगे. दरअसल नीतीश कुमार ने 10-12 साल तक ये भरपूर कोशिश की कि वे उत्तर प्रदेश के कुर्मी वोटरों में अपनी पकड़ बना लें. लेकिन वहां कुर्मी वोटरों पर अपना दल की पकड़ है, जो बीजेपी के साथ है.
क्या नीतीश चुनाव नहीं हारे
जेडीयू के मंत्री विजेंद्र यादव ने श्रवण कुमार से भी चार कदम आगे बढ़ कर दावा किया है. वे कह रहे हैं कि नीतीश देश की जिस सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहीं से जीत जायेंगे. नीतीश कभी चुनाव हारे ही नहीं. विजेंद्र यादव का ये दावा भी पूरी गलत गलत है. नीतीश कुमार ने पिछले 19 सालों से कोई चुनाव नहीं लड़ा. वे विधान पार्षद बन कर मुख्यमंत्री बने हुए हैं. सबसे आखिरी बार वे 2004 के लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़े थे. नीतीश ने बिहार की बाढ़ और नालंदा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इसमें बाढ़ लोकसभा सीट से वे चुनाव हार गये थे. जबकि इसी सीट से वे सीटिंग सांसद थे. नालंदा से चुनाव जीतने के कारण उनकी इज्जत बची थी.
वैसे, नीतीश कुमार की चुनावी राजनीति की शुरूआत ही हार से हुई है. 1977 में जब देश में कांग्रेस के खिलाफ लहर चल रही थी तो वे बिहार विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार बन कर मैदान में उतरे थे. बिहार में जनता पार्टी की भारी लहर थी, लेकिन नीतीश कुमार चुनाव हार गये थे. तीन साल बाद वे 1980 के विधानसभा चुनाव में फिर से मैदान में उतरे. एक बार फिर उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा था. नीतीश कुमार 1985 में पहली दफे विधायक बन पाये थे.