बिहार: गंगा नदी में निकले दियारा की जमीन अब पटना जिले के हवाले, सरकार ने सारण औऱ वैशाली की 3543.5 एकड़ जमीन का हस्तांतरण किया

बिहार: गंगा नदी में निकले दियारा की जमीन अब पटना जिले के हवाले, सरकार ने सारण औऱ वैशाली की 3543.5 एकड़ जमीन का हस्तांतरण किया

PATNA: गंगा नदी की धारा के बदलने से नदी के किनारे या बीच में निकली जमीन का मामला सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. बिहार सरकार ने गंगा नदी के आस-पास या बीच में निकली साढे तीन हजार एकड़ से ज्यादा जमीन को पटना जिले में शामिल कर लिया है. अब तक पटना शहर के पास की ढ़ेर सारी जमीन वैशाली औऱ सारण जिले के क्षेत्राधिकार में थी. लिहाजा सरकार औऱ आम लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था.


राज्य सरकार ने आज इसकी अधिसूचना जारी की है. सरकार की ओऱ से जारी अधिसूचना के मुताबिक सारण जिले की 3212 एकड़ जमीन औऱ वैशाली जिले की 331.5 एकड़ जमीन अब पटना जिले में शामिल कर ली गयी हैं. इस क्षेत्र की प्रशासनिक कमान पटना के DM के हाथ में होगी, वहीं विधि व्यवस्था की देखभाल पटना पुलिस के जिम्मे. सरकार ने जेपी सेतु, पहलेजा घाट, कंगन घाट जैसे इलाकों की जमीन पटना जिले को सौंपी है. ये इलाका था तो पटना के शहर के बेहद पास लेकिन इसकी प्रशासनिक कमान सारण और वैशाली जिले में थी. 


राज्य सरकार की अधिसूचना के मुताबिक सारण जिले के सोनपुर प्रखंड के दक्षिणी इलाके में गंगा नदी के बीच के दियारा और नदी क्षेत्र की जमीन पटना जिले को ट्रांसफर कर दिया गया है. सारण जिले की 3212 एकड़ जमीन पटना जिला को मिली है इसमें जेपी सेतु, पहलेजा घाट सहित गंगा नदी के उत्तर में सोनपुर की ओर की टोपोलैंड भी शामिल है. सरकार ने प्रशासनिक और भौगौलिक स्थिति को देखते हुए सारण जिले की जमीन पटना जिले को स्थानांतरित की गई है. इसी तरह से वैशाली जिले की 331.5 एकड़ जमीन पटना जिले में आ गई है. पटना शहर के पास के कई ऐसे इलाके हैं जो अब तक वैशाली जिले में थे, अब वे पटना जिले में शामिल कर लिये गये हैं. 


सरकार ने इस कारण लिया फैसला

दरअसल गंगा नदी की धारा बदलने से किसी किनारे की जमीन नदी की धारा में समा जा रही है तो दूसरे ओर की जमीन नदी से बाहर निकल जा रही है. नदी की जमीन पर कब्जे को लेकर अक्सर विवाद होता रहा है. अब तक की व्यवस्था ऐसी थी कि अगर सारण की ओऱ नदी की धारा मुडी और जमीन कट गयी तो पटना की ओऱ निकले जमीन पर सारण जिले मानी जाती है. इसके कारण पटना के कंगन घाट के पास की जमीन वैशाली जिले के क्षेत्राधिकार में आ गयी थी तो दानापुर के करीब की जमीन सारण जिले के क्षेत्र में. 


इन इलाकों में कोई विवाद या घटना होने की स्थिति में पटना जिला प्रशासन उसे नहीं देखता औऱ ना ही पटना जिले के थाने में केस दर्ज हो रहा था. पटना के लोगों को याद होगा कि 2017 में मकरसंक्राति के मौके पर 14 जनवरी को पटना शहर से सटे गंगा दियारा में पतंग उत्सव मनाया गया था. इसमें शामिल होने बड़ी तादाद में पटना से लोग नाव से गंगा दियारा में गये थे. उनके लौटने के क्रम में नाव गंगा नदी में डूब गई. पटना शहर के पास का ये इलाका सारण जिले में पड़ रहा था लिहाजा कार्रवाई कहां की और किस जिले की पुलिस करेगी इस पर भी विवाद हुआ था. बाद में सारण जिले में केस दर्ज किया गया था. 


2019 में लोक शिक्षकों ने पटना के कलेक्ट्रेट घाट पर जल समाधि लेने का ऐलान किया था. ये जगह पटना कलेक्ट्रेट के पास था लेकिन इस क्षेत्र पर अधिकार सारण जिले का था. लिहाजा लोक शिक्षकों को रोकने के लिए पटना जिला प्रशासन ने सारण जिला प्रशासन को पत्र लिखा. छपरा से आकर सारण जिला प्रशासन की टीम सुबह से देर रात तक पटना के कलेक्ट्रेट घाट के पास कैंप करती रही. जबकि हुआ ये था कि लोक शिक्षकों ने पटना जिला प्रशासन को बता दिया था कि वे अपना आंदोलन वापस ले चुके हैं. लेकिन सारण जिले को इसकी खबर ही नहीं मिली थी. 


माफियाओं को भी मिली मदद

अशोक राजपथ के उत्तर गंगा में दियारे इलाके में अवैध रूप से बालू खनन औऱ अवैध निर्माण के मामले आते रहते हैं. लेकिन ये इलाका प्रशासनिक दृष्टिकोण से सारण या वैशाली जिले में पड़ता है. लिहाजा पटना जिला प्रशासन कोई एक्शन नहीं ले पाता था.