PATNA : गांधी मैदान में आयोजित रावण वध कार्यक्रम से बीजेपी नेताओं की दूरी में बिहार की सियासत नए सिरे से सुलगा दी है। रावण दहन कार्यक्रम मैं नीतीश कुमार के बावजूद भी और बीजेपी नेताओं की दूरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सियासी गलियारे में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वाकई बीजेपी ने सोची-समझी रणनीति के तहत नीतीश कुमार को नजरअंदाज किया है।
क्या जानबूझकर बीजेपी ने नीतीश का किया नजरअंदाज?
दशहरा कमेटी की तरफ से रावण वध कार्यक्रम में शामिल होने के लिए डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को भी आमंत्रित किया गया था। उनके अलावा पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद और पटना के स्थानीय विधायकों को भी कार्यक्रम में बुलाया गया था लेकिन बीजेपी का कोई जिलास्तरीय नेता भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचा। डिप्टी सीएम सुशील मोदी सहित अन्य नेताओं के लिए मंच पर लगी कुर्सियां खाली रह गईं। पटना साहिब के सांसद और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद इस कार्यक्रम के बाद दिल्ली से पटना पहुंचने वाले हैं। रविशंकर प्रसाद ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह इस बार दशहरा नहीं मनाएंगे पटना में जलजमाव को लेकर उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता के साथ खड़े रहने की बात कही थी।
कांग्रेस ने बीजेपी के रवैये पर जताई आपत्ति
एक तरफ बीजेपी ने रावण वध कार्यक्रम से दूरी बनाकर नीतीश कुमार को अलग-थलग कर दिया तो वहीं नीतीश के साथ कार्यक्रम में मौजूद रहने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने बीजेपी के इस रवैया पर आपत्ति जताई है। मदन मोहन झा ने कहा है कि बीजेपी नेताओं को ऐसे आयोजनों पर राजनीति से परहेज करना चाहिए। बीजेपी का कोई बड़ा नेता फिलहाल इस मामले पर कुछ बोलने को तैयार नहीं लेकिन पार्टी के प्रवक्ता संजय टाईगर ने कहा है कि एनडीए पूरी तरह से एकजुट है। नीतीश को लेकर बीजेपी की रणनीति चाहे जो कुछ भी हो लेकिन इतना तय है कि रावण वध कार्यक्रम को लेकर सियासत अभी और आगे बढ़ेगी।