PATNA : बिहार में SC-ST आरक्षण के नाम पर बीजेपी-जेडीयू के पक्ष में सियासी माहौल तैयार करने की कोशिश फेल हो गयी है. जेडीयू और बीजेपी के विधायकों द्वारा सभी पार्टियों के दलित विधायकों को गोलबंद करने की कोशिशों पर आरजेडी ने पानी फेर दिया है. आरजेडी विधायकों ने साफ कर दिया है कि NDA के विधायक सियासी रोटी सेंकने की कोशिश में है. अगर किसी को आरक्षण की लड़ाई लड़नी है तो वह पहले अपनी पार्टी से इस्तीफा देकर आरजेडी में शामिल हो जाये. आरजेडी विधायकों ने आज JDU-BJP के विधायकों की ओर से बुलायी गयी बैठक का बहिष्कार कर अलग से बैठक किया.
गौरतलब है कि जेडीयू के मंत्री श्याम रजक, विधायक ललन पासवान और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने आरक्षण के मसले पर बिहार के अनुसूचित जाति के विधायकों को एकजुट करने का अभियान चलाया था. इस बैठक में सभी पार्टियों के दलित विधायकों को बुलाया जा रहा था. विधायकों ने चार जगहों पर अलग-अलग बैठक की थी. बैठक में पूरे देश के दलित और आदिवासी विधायकों को एकजुट करने और आरक्षण बचाने की लड़ाई लडने का दावा किया जा रहा था. इसके लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलने का टाइम भी मांगा गया था.
जेडीयू-बीजेपी के दलित विधायकों द्वारा शुरू की गयी इस मुहिम के तहत आज पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के आवास पर बैठक बुलायी गयी थी. बैठक में शामिल होने के लिए NDA के दलित विधायकों के साथ कांग्रेस और आरजेडी के विधायकों को भी बुलाया गया था. लेकिन इस बैठक में आरजेडी का कोई विधायक नहीं पहुंचा. इसके बावजूद बैठक के मुख्य आयोजनकर्ता और मंत्री श्याम रजक ने दावा किया कि उनकी बैठक में आरजेडी के कई विधायक मौजूद हैं. बैठक में ये तय किया गया कि अब पूरे देश के दलित विधायकों को एकजुट किया जायेगा और उनकी बैठक दिल्ली में बुलायी जायेगी. इसके लिए संचालन समिति बनाने का एलान किया गया जिसमें जीतन राम मांझी, मंत्री श्याम रजक, संतोष निराला, महेश्वर हजारी, ललन पासवान के साथ साथ आरजेडी के विधायकों शिवचंद्र राम और स्वीटी हेम्ब्रम को भी शामिल करने का एलान किया गया.
आरजेडी ने फेल कर दी मुहिम
लेकिन उसी समय आरजेडी के दलित विधायकों ने सामानान्तर बैठक कर बीजेपी-जेडीयू के विधायकों की बैठक को लोगों की आंखों में धूल झोंकने की साजिश करार दिया. आरजेडी के 11 दलित विधायकों ने अलग बैठक कर कहा कि बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी ने आरक्षण को समाप्त करने की साजिश रची है. वैसी पार्टियों के साथ रहकर आरक्षण की लडाई नहीं लड़ी जा सकती है. अगर बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के विधायकों को लगता है कि उन्हें आरक्षण की लड़ाई लड़नी है तो उन्हें सबसे पहले अपनी पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिये. फिर आरजेडी में शामिल होकर तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में आरक्षण बचाने की लड़ाई लडनी चाहिये.
जाहिर है जेडीयू-बीजेपी के जो नेता देश भर के दलित विधायकों को जुटाने चले थे उनकी मुहिम बिहार में ही फेल हो गयी. बिहार में आरजेडी के विधायकों ने उनकी नियत पर सवाल खड़ा करते हुए इस मुहिम से खुद को अलग कर दिया है. आरजेडी के एक विधायक ने बताया कि जेडीयू-बीजेपी के विधायक दरअसल चुनाव से पहले अपने गठबंधन के पक्ष में माहौल खड़ा करने चले थे. लेकिन आरजेडी के नेता उनकी मंशा समझ रहे थे. लिहाजा उस मुहिम से पार्टी अलग हो गयी है.