एक तरफ पूर्व मंत्री बंधु तिर्की के आवास पर CBI की रेड, दूसरी ओर झारखंड कबड्डी एसोसिएशन के सचिव विपिन सिंह के बोकारों और पटना स्थित घर पर भी रेड

एक तरफ पूर्व मंत्री बंधु तिर्की के आवास पर CBI की रेड, दूसरी ओर झारखंड कबड्डी एसोसिएशन के सचिव विपिन सिंह के बोकारों और पटना स्थित घर पर भी रेड

DESK: आय से अधिक संपत्ति मामले में झारखंड के पूर्व खेल मंत्री व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के आवास पर सुबह से ही CBI की छापेमारी चल रही है। वही दूसरी ओर 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में सीबीआई की छापेमारी झारखंड कबड्डी एसोसिएशन के सचिव विपिन सिंह के बोकारो और पटना स्थित आवास पर चल रही है।


सीबीआई की 4 सदस्य टीम बोकारो सेक्टर 8/c स्टेट क्वार्टर नंबर 2201 में सुबह-सुबह छापेमारी के लिए पहुंची थी वहीं दूसरी टीम पटना स्थित आवास में भी पहुंची है। सीबीआई के विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विपिन कुमार सिंह के घर के सदस्यों से पूछताछ की जा रही है और कागजात को भी खंगाला जा रहा है। उधर झारखंड में भी यह छापेमारी पूर्व खेल मंत्री सह पूर्व विधायक बंधु तिर्की के घर पर भी चल रही है। आज सुबह सीबीआई की टीम पंडरा ओपी क्षेत्र के बनो होरा स्थित आवास पर पहुंची। इस दौरान जरूरी कागजातों को खंगाला गया। 


बता दें कि आज देश भर में कुल 16 जगहों पर सीबीआई की छापेमारी चल रही है। दरअसल यह मामला राष्ट्रीय खेल में हुए घोटाले से जुड़ा हुआ है। रांची में 7, धनबाद में 5, दिल्ली में 3 और पटना में 1 लोकेशन पर CBI की छापेमारी चल रही है। आरोपी बंधु तिर्की झारखंड के पूर्व खेल मंत्री हैं। वही आरके आनंद रांची के पूर्व सांसद हैं जो खेल ऑर्गेनाइजिंग कमिटी के चेयरमैन थे। इसके अलावे विपिन कुमार सिंह जो कबड्डी एसोसिएशन का सदस्य हैं। इनके साथ ही कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने घोटाले के इस मामले को सीबीआई को सौंपा था। जिसके बाद सीबीआई इस पूरे मामले की जांच कर रही है। आज देश भर में 16 जगहों पर सीबीआई की रेड हुई है। 


आप जानना चाहेंगे कि आखिर खेल घोटाला है क्या? दरअसल झारखंड में 2007 में राष्ट्रीय खेल का आयेाजन होना था लेकिन तैयारी पूरी नहीं होने के कारण 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन झारखंड में 2011 में हुआ। राष्ट्रीय खेल के आयोजन से पहले खेल सामग्री की खरीद, ठेका देने में अनियमितता, निर्माण में गड़बड़ी के मामले सामने आए. आंकलन के मुताबिक, 29 करोड़ से अधिक का नुकसान सरकार को हुआ। जिसके बाद साल 2010 में एसीबी ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज की थी।