PATNA: बिहार के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में इलाज के लिए जगह नहीं मिलता था, लेकिन आज स्थिति ऐसी हो गई है कि मरीज खुद ही यहां से लौट रहे हैं. जो भर्ती परिजन भी थे उनके परिजन दूसरे हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जा रहे हैं. जिससे बेड खाली होने लगा है.
हड़ताल का असर
चार दिनों से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जिसके कारण सही से इलाज नहीं हो पा रहा है. कई मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो चुकी है. ऐसे में अब मरीज के परिजन कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं. इलाज छोड़कर डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं.
हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं
बिहार में 23 दिसंबर से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर है. जूनियर डॉक्टरों की 1 सूत्री मांग स्टाइपेंड बढ़ाने की है. सभी जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. जेडीए के मुताबिक साल 2017 से बिहार में जूनियर डॉक्टरों का स्टाइपेंड रिवाइज नहीं किया गया है जिसकी वजह से वह स्ट्राइक पर जा रहे हैं. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का कहना है कि हर 3 साल पर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी होनी चाहिए.