DARBHANGA : बिहार के दरभंगा जिलें से एक बड़ी सामने आई है, जहां उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में मरीजों को दवा के बदले दर्द मिल रहाहै. वैसे तो गरीब और असहाय लोगों को उम्मीद रहती है कि सरकारी अस्पतालों में उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी. लेकिन उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं मिल रहा है. जिसका ताजा उदाहरण डीएमसीएच के ऑर्थो विभाग में देखने को मिला.
दरभंगा के जोगियार गांव की रहने वाली आशा देवी अपने दो बच्चों के साथ दो महीनों से अपने हाथ का ऑपरेशन कराने के लिए बैठी हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से आज तक उनका ऑपरेशन नहीं हो सका है. अपने दर्द के बारे बताते हुए आशा देवी ने कहा कि "यहां के डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि आज ऑपरेशन करते हैं, कल करते हैं और ऐसा कहते हुए दो महीना होने को चला है. लेकिन आज तक मेरा ऑपरेशन नहीं हो सका. यहां पर रहने में अब काफी कठिनाई हो रही है. इन दो महीनों में हमारे पास जो भी पैसे थे, खत्म हो गये. समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर हम लोग क्या करें. डॉक्टर और नर्स आते हैं, लेकिन वे यह नहीं बताते हैं कि मेरा ऑपरेशन कब होगा."
वहीं मरीज की बेटी आराधना कुमारी का कहना है कि "हम अपनी मम्मी को लेकर 5 नवंबर को डीएमसीएच में भर्ती हुए थे. भर्ती होने के बाद यहां के डॉक्टर ने कहा कि शरीर में खून की कमी है. ऐसे में ऑपरेशन नहीं हो सकता. जिसके बाद हम लोगों ने डॉक्टर के अनुसार सारी व्यवस्था कर दी. लेकिन आज तक ऑपरेशन नहीं हुआ. आराधना ने कहा कि हम दो महीने से अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर यहां पर बैठे हुए हैं. 17 फरवरी से मेरी दसवीं की परीक्षा है. इन सारी बातों को हम डॉक्टर से कहते हैं तो, वे हमें डांटने लगते हैं."
इस मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉ मणिभूषण शर्मा ने अपने बयान में कहा कि जैसे ही यह मामला हमारे संज्ञान में आया है कि आशा देवी नाम की मरीज पांच नवंबर से यहां पर भर्ती है, वैसे ही हमने विभागाध्यक्ष को फोन करके कहा है कि उक्त मरीज की क्या स्थिति है, उसकी पूरी जानकारी हमें दें. ताकि उसका उचित इलाज हो सके. जब तक मरीज यहां से स्वस्थ होकर नहीं लौटती, तब तक हमारी नजर बनी रहेगी.