डीएम के मुंह पर थूक दीजिये, फूल नहीं जूते की माला पहनाइये, नहीं कुछ तो ठेंगा दिखाइये: RJD विधायक ने समर्थकों को गांधीवादी तरीका बताया

डीएम के मुंह पर थूक दीजिये, फूल नहीं जूते की माला पहनाइये, नहीं कुछ तो ठेंगा दिखाइये: RJD विधायक ने समर्थकों को गांधीवादी तरीका बताया

PATNA: लालू-तेजस्वी की पार्टी आरजेडी के विधायक ने अपने समर्थकों को समझाया है कि वे बिहार के बेलगाम अफसरों को कैसे ठीक करें. विधायक ने ये भी बताया कि कौन सा तरीका अपनाने से उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं होगी और अफसर जलील भी हो जायेगा. विधायक बिहार की बेलगाम अफसरशाही से भारी नाराज हैं. राजद के विधायक ने कहा कि वे जो तरीका बता रहे हैं वह गांधीवादी तरीका है. 


कलेक्टर के मुंह पर सौ आदमी थूकिये

RJD के विधायक सुधाकर सिंह ने एक सभा को संबोधित करते हुए अपने समर्थकों को समझाया कि बगैर लाठी-डंडे के कैसे बिहार के अधिकारियों को ठीक किया जा सकता है. सुधाकर सिंह ने कहा-अधिकारियों को ठीक करने का आसान तरीका है. उनके मुंह पर थूक दो. कलक्टर के मुंह पर सौ आदमी थूकियेगा तो कौन दफा लगाकर आपको जेल भेजेगा. कोई दफा लगेगा? 


अफसरों को फूल का नहीं जूता का माला पहनाइये

सुधाकर सिंह ने अपने समर्थकों से कहा कि वे अधिकारियों को फूल का माला क्यों पहनाते हैं. कलक्टर औऱ अधिकारियों के गले में फटा हुआ जूते का माला लटका दीजिये. कौन दफा लगेगा. कोई दफा नहीं लगने वाला. सुधाकर सिंह ने कहा आज से फूल का माला पहनाना बंद कर दीजिये.


ये गांधीवादी तरीका है

राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि वे गांधीवादी हैं. इसलिए विरोध का गांधीवादी तरीका बता रहे हैं. इसमें लाठी-डंडा चलाने की जरूरत नहीं है. जो कह रहे हैं वैसा करके देखिये, अधिकारी इस्तीफा देकर भाग जायेगा. सिर फोड़ियेगा तो धारा 302 या 307 का केस हो जायेगा. लेकिन जो हम कह रहे हैं, उसे करके देखिये. कुछ नहीं होगा. 


सुधाकर सिंह ने अपने समर्थकों को दूसरा तरीका भी बताया. उन्होंने कहा कि ये सब भी नहीं कर सकते तो एक औऱ रास्ता है. चौक-चौराहे पर जब अधिकारी आये तो सब मिलकर उसे अपने हाथ का अंगूठा यानि ठेंगा दिखाइये. इस पर कौन दफा लगेगा. कोई दफा नहीं लगने वाला.


बता दें कि सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं. बिहार में जब राजद-जेडीयू की सरकार बनी थी तो सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था. लेकिन सुधाकर सिंह ने बिहार में बेलमगा अफसरशाही और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए पद छोड़ दिया था.