RANCHI : रांची में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पांच साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही अदालत ने लालू पर 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन पर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. कानूनी विशेषज्ञों की राय में लालू को तीन साल से अधिक की सजा मिलने के कारण तुरंत जमानत नहीं मिल सकेगी. इसके लिए उन्हें हाईकोर्ट का रूख करना होगा.
लेकिन इस बीच लालू यादव के लिए एक और टेंशन वाली खबर है. दरअसल, देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद को सीबीआई कोर्ट से मिली साढ़े तीन साल की सजा की अवधि बढ़ाने का मामला झारखंड हाईकोर्ट में अभी लंबित है. सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद समेत इस मामले के अन्य आरोपी आरके राणा, बेक जूलियस, महेश प्रसाद, फूलचंद सिंह और सुबीर कुमार भट्टाचार्य को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है. जबकि एक आरोपी जगदीश शर्मा को इसी मामले में सात साल की सजा मिली है.
सीबीआई की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद समेत अन्य पर उच्च स्तरीय षड्यंत्र का आरोप है, ऐसे में सजा भी समान होनी चाहिए. सीबीआई ने इस मामले में लालू समेत छह अन्य आरोपियों को भी कम-से-कम 7 वर्ष कारावास की सजा देने की मांग की है. मामले में अभी हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है. डोरंडा मामले में लालू यादव को पांच साल की सजा सुनाए जाने के बाद एक बार फिर यह मुद्दा उठ रहा है. अगर इस मामले में सुनवाई होती है तो एक बार फिर लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती है.
बताते चलें कि डोरंडा कोषागार मामला चारा घोटाला के उन पांच मामलों में से आखिरी है. इसमें लालू यादव को आरोपी बनाया गया. विशेष सीबीआई न्यायाधीश सीके शशि ने 15 फरवरी को लालू प्रसाद यादव के खिलाफ इस पांचवें चारा घोटाला मामले में उन्हें दोषी ठहराया था. इस मामले में साल 1996 में रांची के डोरंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. बाद में सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया.
इससे पहले के बाकी चार मामलों में लालू यादव को चाईबासा कोषागार के दो अलग-अलग मामलों में सात-सात साल, दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में पांच साल और देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में चार-चार साल की सजा सुनाई गई. चारों मामलों में लालू यादव ने जेल में सजा काटकर पचास प्रतिशत सजा पूरी कर ली है.