DESK : खतरनाक महामारी कोरोना से नयी आफत की बात सामने आ गयी है. एक नये रिसर्च में कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने वाले 14 फीसदी मरीजों में नयी बीमारी पैदा हो जा रही है. वे कोरोना से भले ही ठीक हो जा रहे हैं लेकिन नयी बीमारी उन्हें तोड़ दे रही है. एक नये रिसर्च में ये बात सामने आयी है.
लंदन में हुए रिसर्च में निकला नतीजा
कोरोना मरीजों पर की गयी रिसर्च को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इसमें कहा गया है कि कोविड का संक्रमण शरीर से जाने के बाद भी कई स्वास्थ्य समस्याएं पीछे छोड़ जा रहा है. कोविड से संक्रमित होकर ठीक होने वाले 14 फीसदी मरीजों को नई बीमारी का शिकार बनना पड़ जा रहा है. जिसके कारण उन्हें फिर से डॉक्टरों औऱ अस्पतालों में जाना पडता है. लंदन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च ने ये शोध किया है. इसमें पिछले साल कोरोना के शिकार बनने वाले 1 लाख 93 हजार से ज्यादा मरीजों की सेहत का अध्ययन किया गया.
शोधकर्ताओं ने 18 से 65 साल के बीच की उम्र वाले कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया. उनके कोविड संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद के 21 दिनों में शरीर में पैदा होने वाली दूसरी परेशानियों पर नजर रखा गया. शोधकर्ताओँ ने ये जानने की कोशिश की कि कोविड संक्रमण से मुक्त होने के बाद के छह महीने के भीतर कितने मरीजों को नई बीमारी का सामना करना पड़ा. शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस के शिकार बनने वाले 14 प्रतिशत मरीजों में कम से कम एक नई स्वास्थ्य समस्या जन्म ले रही है. विशेषज्ञों ने ये भी जाना कि जो लोग कोविड से संक्रमित नहीं हुए उनकी तुलना में संक्रमण से ठीक होने वालों का स्वास्थ्य कैसा है. पता चला कि संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों को अस्पतालों का ज्यादा चक्कर लगाना पड़ रहा है.
युवाओं को ज्यादा खतरा
शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद नयी बीमारी की चपेट में आने वालों में युवाओँ की तादाद ज्यादा है. मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर इलेन मैक्सवेल ने बताया कि कोविड संक्रमण के साइडइफेक्ट के रूप में किसी नई बीमारी के पनपने का खतरा युवाओँ में बुजुर्गों की तुलना में कहीं ज्यादा पाया गया है. कोविड संक्रमण के बाद नयी बीमारी का शिकार बनने वाले ढेर सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें पहले कभी किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझना नहीं पड़ा था.