Bihar News: बिहार के गरीब परिवारों के लिए सरकार का एक और बड़ा कदम, अब बिना पैसे खर्च किए मिलेगी यह शानदार सुविधा Success Story: कौन हैं भारत के नए CJI जस्टिस सूर्यकांत? जानिए पूरी कहानी, करियर, चुनौतियां और अहम फैसले Bihar Land Mafia : कुर्सी संभालते ही डिप्टी CM विजय सिन्हा की हुंकार, भूमाफिया को संरक्षण देने वाले 'सफेदपोश' हो जाएं सावधान...हर तरफ रहेगी निगाह Bihar News: बिहार में लगातार बढ़ रहे डेंगू के मामले, हाई-रिस्क इलाकों में फॉगिंग और निगरानी तेज Chief Justice of India: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें CJI, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ IRCTC scam case : राबड़ी देवी ने किया चार मामलों को ट्रांसफर करने का अपील , IRCTC और लैंड फॉर जॉब केस में जज पर पक्षपात का लगा रहे आरोप Bihar News: बारात में लड़की का दुपट्टा खींचने पर जमकर मारपीट, आधे बारातियों पर केस दर्ज Pusa University acid blast : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में बड़ा हादसा, सफाई के दौरान एसिड बोतल फटने से चार मजदूर झुलसे, दो की हालत गंभीर Bihar News: बारात पहुंची, सभी रश्में हुईं..., लेकिन दुल्हन ने मंडप पर आते ही शादी से किया इनकार Bihar sand mining : मंत्री बनते ही विजय कुमार सिन्हा का एक्शन शुरू,अवैध बालू खनन पर कसा जा रहा शिकंजा; विभाग ने जिलों को भेजा सख्त निर्देश
1st Bihar Published by: Updated Mon, 20 Jul 2020 01:02:52 PM IST
- फ़ोटो
DESK : इस वक़्त कोरोना वायरस से पूरी दुनिया एकजुट होकर जंग लड़ रही है. पर सच्चाई ये है कि परिस्थतियां जल्द सामान्य होती नजर नहीं आ रही. संक्रमित मरीज तो सही इलाज मिलने से 15 से 20 दिनों में ठीक हो जा रहे हैं लेकिन कोरोना से जंग जीतने के बावजूद मरीजों को वर्षों तक इसका दुष्परिणाम झेलना पड़ सकता है. ऐसा ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है.
उनका कहना है कि वायरस का असर शरीर के लगभग हर बड़े अंग पर हो रहा है, जिससे आने वाले सालों में मरीजों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. अपने इस दावे को सही साबित करने के लिए वैज्ञानिकों ने अगले 25 साल तक 10 हजार ऐसे लोगों के स्वास्थ्य की निगरानी करने का फैसला लिया है.
कोरोना शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को करता है प्रभावित
कोरोना सांस या फेफडों की बीमारी से संबंधित मरीजों को जल्दी प्रभावित करता है. इस संक्रामक बीमारी में सबसे पहले सांस लेने की समस्या होती है, जिसके कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लागती है. जिसकी वजह से शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग टीक से काम करना बंद कर देते हैं.
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय ने 69 देशों के 1200 मरीजों पर अध्ययन में पाया कि इनमें 55 फीसदी मरीजों के हृदय में असामानताएं दिखती हैं. 15 फीसदी मरीजों के शरीर में हृदय के रक्तसंचार करने के तरीके में बदलाव होते देखा गया है. जिस कारण म्कोरोना मरीज को आगे कई वर्षों तक दिक्कतें हो सकती हैं.
किडनी, कोरोना वायरस के हमले से खराब होना शुरू हो जाता है. एक अध्ययनों में पाया गया की, अस्पताल में भर्ती होने वाले एक-तिहाई मरीजों के किडनी में आंशिक या गंभीर असर होने लगते हैं. आने वाले समय में कई मरीजों को डायलिसिस या दीर्घकाल में किडनी ट्रांसप्लांट भी कराना पड़ सकता है.
कोरोना से संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क पर भी असर पड़ता है जो समय के साथ गंभीर हो सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना मरीजों में 50 प्रतिशत को न्यूरोलॉजिकल असर होते हैं. इन्हें भविष्य में सिर दर्द, स्वाद न पता लगने और शरीर में झुनझुनाहट जैसे हल्के लक्षण महसूस हो सकते हैं, साथ ही न्यूरो से जुडी गंभीर परेशानियों जैसे स्ट्रोक , दौरे पड़ना और बोलने की क्षमता कम या खत्म हो जा सकती है.
किंग्स कालेज लंदन ने बताया है कि इंसानी शरीर में अलग-अलग तरह की कोशिकाओं की सतह पर एसीई-2 रिसेप्टर होते हैं. ये रिसेप्टर कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के लिए प्रवेशद्वार की तरह हैं. जिनसे जुड़कर स्पाइक उस कोशिका में वायरस की संख्या बढ़ाने लगता है. यही कारण है कि सिर्फ फेफड़ा ही नहीं, अन्य कई महत्वपूर्ण अंगों तक वायरस का सीधा असर पहुंचता है.