PATNA : बिहार में कोरोना से हुई मौत के आंकड़े छुपाए जाने के मामले में फजीहत के बाद नीतीश सरकार इस पर मीडिया रिपोर्टिंग को रोकना चाहती थी। सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में अपील की गई कि कोरोना से मौत के आंकड़ों की लाइव रिपोर्टिंग रोकी जाए। हालांकि हाईकोर्ट ने इस अपील पर सरकार को झटका देते हुए यह कह दिया कि मीडिया अपना काम कर रहा है। पटना हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि मीडिया की लाइव रिपोर्टिंग पर रोक की क्या जरूरत है? इसे करने दें। दरअसल पटना हाईकोर्ट में एक बार फिर से कोरोना से हुई मौत के मामले पर शनिवार को सुनवाई हुई। राज्य के मुख्य सचिव की तरफ से मौत के आंकड़ों में किए गए बदलाव से संबंधित हलफनामा देने के बाद शनिवार को भी सुनवाई जारी रही।
शनिवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ललित किशोर ने मीडिया में हाईकोर्ट की लाइव रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मीडिया को हाईकोर्ट के आदेश की बाहर की बातों को प्रकाशित नहीं करना चाहिए। महाधिवक्ता के तरफ से एतराज जताए जाने पर कोर्ट ने कहा कि मीडिया अपना काम कर रही है और उसे करने दें। दरअसल जिस तरह मौत के आंकड़े जुटाए जाने के मामले में कोर्ट के अंदर सरकार की लगातार फजीहत हो रही है उससे नीतीश सरकार बेचैनी में है। सरकार शायद इस बात से घबराई हुई है कि मीडिया रिपोर्टिंग से उसकी छवि खराब हो रही है। इसीलिए कोर्ट की लाइव रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की अपील की गई जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
इससे पहले कोरोना से मौत के मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने सरकार से यह पूछा कि कोरोना से मौत के आंकड़े में जो बदलाव किए गए उसका मापदंड क्या रखा गया? कोर्ट ने यह भी पूछा कि किन स्रोतों से जिला स्तर पर कोरोना से मौतों की जानकारी ली गई? साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भी यह बताने को कहा है कि जिन स्रोतों से मौत की जानकारी ली गई वह कितने सटीक हैं इसकी जानकारी दें।