कोरोना पर बिहार सरकार का हाल देखिये: पटना में आलाधिकारी टेस्ट बढ़ाने का एलान कर रहे थे तभी मुजफ्फरपुर में 4 दिनों के लिए रोकी गयी जांच

कोरोना पर बिहार सरकार का हाल देखिये: पटना में आलाधिकारी टेस्ट बढ़ाने का एलान कर रहे थे तभी मुजफ्फरपुर में 4 दिनों के लिए रोकी गयी जांच

MUZAFFARPUR : पटना में बुधवार की शाम जब नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार सरकार के आलाधिकारी बड़ी बडी बातें कर रहे थे, उसी वक्त उसकी पोल खुलनी भी शुरू हो गयी. पटना में बिहार सरकार के बडे अधिकारी प्रेस कांफ्रेंस कर ये कह रहे थे कि सूबे में कोरोना की RT-PCR टेस्ट बढ़ायी जायेगी. ठीक उसी वक्त मुजफ्फरपुर में चार दिनों के लिए टेस्ट के लिए सैंपल लेने पर रोक लगा दी गयी.


मुजफ्फरपुर में चार दिनों के लिए रोकी गयी कोरोना जांच
हम आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (SKMCH) में कोरोना की जांच के लिए RT-PCR मशीन लगी हुई है. जिले के सिविल सर्जन सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बुधवार को ये आदेश निकाल दिया कि चार दिनों तक जिले में RT-PCR टेस्ट के लिए कोई सैंपल नहीं लिया जायेगा. चार दिन बाद सैंपल लेने का काम शुरू किया जायेगा.


9 हजार जांच रिपोर्ट पेंडिंग
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि SKMCH में पिछले कोरोना जांच के लिए 9 हजार सैंपल पेंडिंग पड़े हुए हैं. SKMCH को कहा गया है कि पहले से पेंडिंग सैंपल की जांच कर पूरा कर लिया जाये. जब पुराने सैंपल की जांच हो जायेगी तब नये सैंपल लिये जायेंगे. तब तक मुजफ्फरपुर में RT-PCR टेस्ट नहीं होगा.


ये हाल है सरकार का
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन जिस वक्त कोरोना टेस्टिंग के लिए सैंपल लेने पर रोक का एलान कर रहे थे उसी वक्त पटना में बैठकर बिहार के आलाधिकारी ये एलान कर रहे थे कि सूबे में कोरोना की जांच बढ़ायी जायेगी. राज्य सरकार खास तौर पर ज्यादा से ज्यादा RT-PCR जांच कराने का प्रबंध करेगी. लेकिन बिहार के एक बडे जिले के हाल ने उसी वक्त सरकार की पोल खोल दी.


वैसे भी मुजफ्फरपुर समेत बिहार के ज्यादातर जिलों में कोरोना की RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट कम से कम एक सप्ताह में आ रही है. तब तक ज्यादातर मरीज या तो निगेटिव हो जा रहे हैं या फिर उनकी मौत हो जा रही है. मंगलवार को ही बीजेपी के विधायक नीतीश मिश्रा ने ये बताया था कि मधुबनी जिले में पिछले 15 मई के बाद RT-PCR की कोई टेस्ट रिपोर्ट आयी ही नहीं है. 


हम आपको बता दें कि कोरोना की रोकथाम के लिए सबसे पहला कदम सही तरीके से टेस्ट करना ही होता है. RT-PCR टेस्ट को ही कोरोना की पहचान का सबसे सही जरिया माना जाता है. लेकिन बिहार में सिर्फ 35 फीसदी सैंपल की ही जांच RT-PCR मशीन से हो रही है.