PATNA : देश पहले ही कोरोना संकट से जूझ रहा है. ऐसे में ब्लैक फंगस नाम की एक नई आफत सामने आ गई है. बिहार में भी लोग एक तरफ कोरोना के कम होते मामलों को देखकर राहत की सांस ले रहे थे कि अब इस ब्लैक फंगस ने स्वास्थ्य विभाग के होश उड़ा दिए हैं. इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. शनिवार रात तक पटना में 30 मरीजों में पुष्टि हाे चुकी है. इसमें 4 की सर्जरी हुई है जबकि अन्य का इलाज चल रहा है.
आपको बता दें कि बिहार में 7 दिन पहले ब्लैक फंगस का मामला आया था, इसके बाद से मामला कम नहीं हुआ. पटना में बड़े हॉस्पिटल में तो मामले डिटेक्ट हो गए लेकिन कई छोटे अस्पतलों में ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीजों को भर्ती कराया गया है लेकिन अभी पुष्टि नहीं हो पाई है. पटना में कई ENT डॉक्टरों के यहां भी संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है.
ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों वाले मरीजों को एंटी फंगल दवाएं दी जा रही हैं. लेकिन गंभीर और मध्यम लक्षण वाले रोगियों के उपचार को जरूरी लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन देना होता है जो नहीं मिल पा रही है. दवा विक्रेता इसे कम रखते हैं. दवाओं की उपलब्धता को लेकर अब विभाग में अलर्ट है. लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन कालाजार रोगियों के लिए आती है. WHO और स्वास्थ्य मंत्रालय पर्याप्त मात्रा में कालाजार प्रभावित राज्यों को दवाएं उपलब्ध कराता है.
बताया जा रहा है कि बिहार में भी दवाएं हैं लेकिन डिमांड के बाद भी अस्पतालों को नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे में मरीजों के उपचार में बाधा आ रही है. जिन अस्पतालों में संदिग्ध मरीज भर्ती हैं वहां इंजेक्शन के बजाय लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन-बी की टेबलेट का प्रयोग किया जा रहा है. मेडिसिन विभाग अभी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. औषधि नियंत्रक विश्वजीत दास गुप्ता का कहना है कि बहुत जल्द दवाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी. रविवार तक अस्पतालों को जरूरत के हिसाब से पहुंचाने की बात कही जा रही है. स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी इस समस्या का समाधान करने में जुटे हैं.
आपको बता दें कि ब्लैक फंगस एक फफूंद से होने वाली बीमारी है. बहुत गंभीर लेकिन दुर्लभ संक्रमण है. यह फफूंद वातावरण में कहीं भी पनप सकता है. जैव अपशिष्टों, पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कंपोस्ट खाद में फफूंद पाया जाता है. ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है. अगर शरीर में किसी तरह का घाव है तो वहां से भी ये फैल सकता है.
ब्लैक फंगस के लक्षण
- चेहरे के एक हिस्से में सूजन और आंखाें का बंद हाेना.
- नाक बंद हाेना, नाक के नजदीक सूजन.
- मसूड़ाें में सूजन, पस पड़ना, दांताें का ढीला हाेना.
- तालू की हड्डी का काला हाे जाना, आंखें लाल हाेना, राेशनी कम हाेना.
ब्लैक फंगस से बचाव के उपाय
- कोरोना संक्रमित डॉक्टरों के परामर्श बना रहे.
- कुशल चिकित्सक के परामर्श के बिना खुद से स्टेरॉयड नहीं लें.
- नियमित शुगर स्तर की जांच कराते रहें.
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले विशेष सावधानी बरतें.
- डेक्सोना जैसी दवाओं के हाई डोज का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर करें.
- AC कल्चर से तत्काल दूर हो जाएं.
- नमी और डस्ट वाली जगहों पर नहीं जाएं.
- ऑक्सीजन पर होने से पाइप बदलते रहें.
- मास्क के साथ पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने.