IIT पटना में बनेगा फायर टेस्टिंग और ट्रेनिंग सेंटर, भवन निर्माण विभाग और आईआईटी के बीच हुआ समझौता PATNA: महिलाओं में बढ़ते एंडोमेट्रियल कैंसर को लेकर जागरूकता कार्यक्रम, विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव Bihar News: पटना में बनेगा फायर टेस्टिंग और ट्रेनिंग सेंटर, भवन निर्माण विभाग और IIT के बीच हुआ करार Bihar News: पटना में बनेगा फायर टेस्टिंग और ट्रेनिंग सेंटर, भवन निर्माण विभाग और IIT के बीच हुआ करार Bihar Transfer Posting: परिवहन विभाग में चार ADTO का तबादला, 4 में एक को दो जिलों का मिला जिम्मा SUPAUL: VIP नेता संजीव मिश्रा ने क्रिकेट टूर्नामेंट का किया उद्घाटन, खेल को जीवन का हिस्सा बनाने का दिया संदेश UP News: योगी सरकार ने बदल दिए पांच इंजीनियरिंग कॉलेजों के नाम, अब इस नाम से जाने जाएंगे UP News: योगी सरकार ने बदल दिए पांच इंजीनियरिंग कॉलेजों के नाम, अब इस नाम से जाने जाएंगे Bihar News: बिहार की इस नदी पर 9 करोड़ की लागत से बनेगा स्थायी पुल, यूपी से बढ़ जाएगी कनेक्टिविटी Bihar News: बिहार की इस नदी पर 9 करोड़ की लागत से बनेगा स्थायी पुल, यूपी से बढ़ जाएगी कनेक्टिविटी
1st Bihar Published by: Updated Wed, 29 Apr 2020 05:02:23 PM IST
- फ़ोटो
PATNA : बिहार में कोरोना के बढ़ते मामले और कोविड-19 के लिए डेडीकेटेड अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखकर नीतीश सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने अब सभी जिलों के सिविल सर्जन को आदेश दिया है कि जिले में करोना के मरीज पाए जाने के बाद उनका स्थानीय स्तर पर ही इलाज कराया जाये. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए गए इस आदेश में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि किसी भी संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसको तुरंत कोविड-19 पताल में रेफर कर दिया जा रहा है, जबकि स्थानीय स्तर पर जिलों में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है.
स्वास्थ्य विभाग ने जिलों के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को नहीं रखे जाने को गंभीर बताते हुए कहा है कि सिविल सर्जन और जिला प्रशासन की तरफ से सभी मामलों को कोविड-19 अस्पताल में रेफर किए जाने से अनावश्यक तौर पर डेडिकेटेड अस्पतालों में दबाव बढ़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ जिलों में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड की उपयोगिता खत्म हो रही है. ऐसी स्थिति में अब जिलों में ही कोरोना के मरीजों को रखने का निर्देश दिया गया है.
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिए गए इस आदेश में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि यदि किसी मरीज की तबीयत ज्यादा खराब हो तो ऐसी स्थिति में उसे बेहतर इलाज के लिए डेडिकेट कोविड-19 पर किया जाना चाहिए. किसी सामान्य मरीज को जिले के आइसोलेशन वार्ड में रखकर उसका इलाज कराना ही सबसे बेहतर तरीका होगा.
जिलों से किसी मरीज को अब अगर कोरोना डेडिकेटेड हॉस्पिटल में रेफर किया जाएगा तो इसके लिए एक कमिटी की अनुशंसा आवश्यक होगी. सरकार ने एक कमिटी का गठन किया है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े तीन अधिकारी इस कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं. डॉक्टर नवीन चंद्र प्रसाद, डॉक्टर शिव चंद्र भगत और डॉक्टर उमेश प्रसाद वर्मा की तीन सदस्यीय कमिटी ही अब जिलों से मरीजों को आगे रेफर किए जाने की अनुशंसा करेगी. यह कमिटी कोरोना मरीज की स्थिति और उसकी हिस्ट्री के बारे में आकलन करके फैसला लेगी.