बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की संभावना, डीएम ने पदाधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी की रद्द बिहार-झारखंड बॉर्डर के कई गांव में हाथियों का आतंक: 22 हाथियों के झुंड ने पहुंचाया फसलों को भारी नुकसान Bihar News: बिहार में पर्यटकों को अब यह विशेष सुविधा देगी सरकार, आजादी के साथ मिलेगा शानदार VVIP ट्रीटमेंट 200 रुपये देकर पप्पू यादव ने बच्चे से लगवाये नारे, मासूम बोला-पप्पू सर जिंदाबाद, पप्पू यादव जिंदाबाद Bihar News: बिहार के हजारों शिक्षकों को नए साल से पहले सरकार का गिफ्ट, होने जा रहा यह बड़ा काम 23 नवंबर को सहरसा से अमृतसर के लिए स्पेशल ट्रेन चलेगी, रेलवे ने जारी किया पूरा रूट और टाइमिंग सरकार बनने के बाद 25 नवंबर को नीतीश कैबिनेट की पहली बैठक, बड़े फैसलों की उम्मीद Bihar Minister List: सीएम सहित सभी मंत्रियों के बीच बंट गया विभाग, मंत्रिमंडल सचिवालय ने जारी की अधिसूचना Bihar News: बिहार में 'कैरावैन' से करिए सैर....एक सितारा होटल जैसी मिलेगी सुविधा, 75 KM के लिए लगेंगे इतने हजार रू,जानें.... मिथिला विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में हंगामा: भ्रष्टाचार के खिलाफ छात्रों का उग्र प्रदर्शन, कई हिरासत में
1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Thu, 26 Dec 2024 11:36:35 AM IST
- फ़ोटो
CM Nitish Yatra: आखिर नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा से बिहार का विपक्ष इतना बेचैन क्यों है ? पहले इन लोगों ने नीतीश कुमार की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलायीं , गलत नरेटिव बनाने का प्रयास किया और जब उनके सारे हथियार धराशाई हो गए तो अब अनर्गल प्रलाप पर उतर गए । इसका जवाब जेडीयू ने दिया है. जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता नवल शर्मा कहते हैं,'' मुझे लगता है विपक्ष का बेचैन होना स्वाभाविक भी है.'' इसलिए की 2005 में सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में राजनीतिक खेल के नियम ही बदल दिए हैं और बदले नियमों के तहत बिहार में राजनीति करना विपक्ष के लिए दिनों दिन मुश्किल होते जा रहा.नीतीश कुमार को मिलनेवाला प्रत्येक चुनावी आशीर्वाद लालू-तेजस्वी समेत पूरे विपक्ष की संभावनाओं को क्षीण से क्षीणतर करते जा रहा,भविष्य अंधकारमय बनाते जा रहा ।
लालू-राबड़ी राज में....लौंडा नाच कराओ, कुर्ताफाड़ होली खेलो और जोगीरा सा रा रा...
बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता नवल शर्मा कहते हैं कि 1990 से 2005 के बीच का नियम था कुछ काम मत करो, केवल राज भोगो. टेंगरा लाओ रे, सिंघिन भूंज रे, मीट बनाओ , लौंडा नाच कराओ , कुर्ताफाड़ होली खेलो और जोगीरा सा रा रा करते रहो. जब जनता के लिए कुछ करने की बारी आए तो खाली भावनात्मक डायलॉग मार-मार के, बात बना-बना के, लोगों को भ्रमित किए रखो. कोई विकास पूछे तो बोलो कि विकास से कहीं वोट मिलता है ? रोड मांगे तो बोलो की पक्की रोड से गरीबों के पैरों में छाले पड़ जाएंगे । बाढ़ में लोग बर्बाद होने लगें तो बोलो की गंगा मैया तुम्हारे घर आई हैं । उससे भी मन नहीं भरे तो निकल पड़े पूरे अमले के साथ गरीबों की बस्ती में और शुरू कर दिए बाल कटाओ, नहाओ , सिंदूर टिकली बांटो की नौटंकी. पढ़ाई लिखाई की बात आए तो चरवाहा विद्यालय खोल दो. एक लाइन में कहा जाए तो '' लैश लो और लूटो "यही पुराने नियम थे और जब लूट में जेल जाने लगे तो लोगों को बताओ कि कृष्ण का जन्म भी जेल में हुआ था । यह सारे नियम 15 वर्षों तक चलते रहे ।
नीतीश कुमार के पदार्पण ने पुराने खिलंदड़ नियमों को ध्वस्त कर दिया
जेडीयू प्रवक्ता आगे कहते हैं कि 2005 में नीतीश कुमार के पदार्पण ने इन सारे पुराने खिलंदड़ नियमों को ध्वस्त कर दिया. अब नेतृत्व और राजनीति करने के तरीके दोनों में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं. ऐसे बदलाव जिसके लिए लोग व्याकुल थे । नेतृत्व के स्तर पर एक भ्रष्ट,घोटालेबाज,गैर जिम्मेवार , खिलंदड़ और अनपढ़ नेतृत्व के स्थान पर एक बेहद पढ़ा लिखा , सभ्य , संजीदा , ईमानदार और विकास के प्रति जुनून की हद तक समर्पित नेतृत्व । अब जो नई राजनीतिक कार्यसंस्कृति विकसित हुई उसमें यह तय हो गया कि अगर आपको बिहार की राजनीति करनी है तो " माई और बाप " समीकरण को छोड़कर विकास के मुद्दे पर आना होगा । अब बिहार की जनता उसी के पीछे भागेगी जिसकी छवि साफ सुथरी और ईमानदार होगी और जो काम करने वाला होगा।
तेजस्वी को सीखने का मौका मिला पर आलतू-फालतू चीजों में लगे रहे
और यही हो रहा है. इसीलिए पुराने जातीय समीकरण के सहारे राजनीति करनेवालों का स्पेस सिमटते जा रहा और नीतीश कुमार हैं कि उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा । तेजस्वी यादव को दो दो बार उपमुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के सानिध्य का मौका भी मिला , पर उनसे कुछ सीखने के बजाय आलतू-फालतू चीजों में लगे रहे .अब भी वक्त है विपक्ष अपने को सुधार ले, क्योंकि अब बिहार के मतदाताओं ने पिछले उन्नीस वर्षों में अपना टेस्ट बदल लिया है.