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1st Bihar Published by: Niraj Kumar Updated Sat, 31 Oct 2020 07:35:53 PM IST
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PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण के लिए पूरे जोरशोर के साथ नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे के ऊपर हमलावर हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. शनिवार को सीएम बिहार से हो रहे पलायन को लेकर बोले. उन्होंने कहा कि गुंडों के डर और भय के कारण ही बिहार से लोग पलायन किये.
राज्य में अवैध शराब माफिया के खिलाफ हमला करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "जो लोग अवैध शराब के कारोबार में शामिल है उन लोगों को इस चुनाव में हराना है." सहरसा जिले के सोनबरसा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह केवल बिहार के लोगों की सेवा करने में रुचि रखते है , लेकिन प्रतिबंध से प्रभावित अवैध शराब लॉबी जदयू को हराने के लिए काम कर रही है. नीतीश कुमार ने 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू की थी.
इससे पहले, दिन की एक और रैली में खगड़िया की जनता को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने राजद के शासन के दौरान राज्य में खराब कानून-व्यवस्था की स्थिति को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, "राजद की पिछली सरकार के दौरान, अपहरण एक उद्योग बन गया था, जिससे कई व्यापारियों और डॉक्टरों को बिहार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. राजद के समय में कोई विकासात्मक कार्य नहीं किया गया था और उस दौरान कोई संस्था नहीं थी. हमने संस्थानों का निर्माण किया और बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर किया,"
मुख्यमंत्री ने खगड़िया के लोगों की पानी से संबंधित समस्याओं के बारे में बात करते हुए कहा, “हम लोग खगड़िया में विकास यात्रा के समय रुके थे, इतना ज्यादा आयरन से प्रभावित पानी था कि उसी समय एहसास हो गया दांत में, हम लोगों ने सोचा कि शुद्ध पानी लोगों को नहीं देंगे तो कितना बुरा हाल होगा. मैंने तय किया कि इस क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जायेग और हमने इस क्षेत्र को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने का काम शुरू किया.
राज्य में सांप्रदायिक दंगों के लिए जदयू की सहिष्णुता को दोहराते हुए, नीतीश कुमार ने भागलपुर में एक चुनावी रैली में कहा कि पिछली सरकारों ने दंगा पीड़ितों के न्याय के लिए कुछ नहीं किया था. "लेकिन जब हमें काम करने का मौका मिला, तो हमने इसकी जांच की और कार्रवाई की. हमने पीड़ितों को 2,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी और 2013 के बाद इसे बढाकर 5,000 रुपये कर दिया."
शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि पहले बिहार में स्कूली शिक्षा जर्जर हालत में थी. “कोई स्कूल काम नहीं कर रहा था, गरीब छात्रों के पास स्कूलों तक की पहुंच नहीं थी. कई छात्रों ने स्कूली शिक्षा के लिए राज्य छोड़ दिया. इस खेदजनक स्थिति के कारण, सबसे अधिक प्रभावित सबसे पिछड़े और अल्पसंख्यकों वर्ग के छात्र थे. हमने 30,000 से अधिक तालिमी मरकस और टोला सेवकों की भर्ती की ताकि बच्चों को स्कूल भेजा जा सके."