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1st Bihar Published by: Updated Sun, 28 Aug 2022 03:28:41 PM IST
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JHARKHAND : झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है। ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि शनिवार को राज्यपाल रमेश बैस सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर फैसला लेंगे, लेकिन गवर्नर की तरफ से इसपर कोई फैसला नहीं आया। इसी बीच सीएम हेमंत सोरेन सभी को चौंकाते हुए महागठबंधन के सभी विधायकों को बसों से लेकर पिकनिक मनाने के लिए खूंटी पहुंच गए। झारखंड में लगातार बढ़ रहे सियासी हलचल के बीच अब सभी को राज्यपाल के फैसले का इंतजार है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि राज्यपाल जल्द ही अपना फैसला चुनाव आयोग को भेज सकते हैं।
बताया जा रहा है कि फिलहाल राज्यपाल रमेश बैस चुनाव आयोग से परामर्श कर संवैधानिक पहलुओं की अध्ययन करा रहे हैं और इसके बाद वे सीएम हेमंत सोरेन की अयोग्यता से संबंधित आदेश भारत निर्वाचन आयोग को भेज देंगे। राज्यपाल अपना आदेश कब जारी करेंगे फिलहाल इसपर सस्पेंश बरकरार है। उधर, हेमंत सोरेन विधायकों को एकजुट रखने और सरकार को बचाए रखने की हर संभव कोशिश में लगे हैं। पिछले तीन दिनों से सीएम हाउस में बैठकों का दौर चल रहा है। शनिवार की देर शाम झारखंड के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे रांची पहुंते और देर रात कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक की। उन्होंने सभी विधायकों को रांची में ही मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
इससे पहले शनिवार को ही हेमंत सोरेन महागठबंधन के विधायकों के साथ बैठक करने के बाद अचानक विधायकों को बसों से लेकर निकल गए थे। संभावना जताई गई कि वे ऑपरेशन लोटस के डर से विधायकों को लेकर छत्तीसगढ़ जा रहे हैं लेकिन बाद में वे खूंटी के एक रिसॉर्ट पहुंचे और वहां विधायकों के साथ मौज मस्ती करने के बाद देर शाम रांची वापस लौटे थे। बता दें कि 29 सितंबर को हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन की विधायकी को लेकर भी फैसला आना है। माना जा रहा है कि दोनों भाइयों की सदस्यता पर फैसला एक साथ सुनाया जा सकता है।
दरअसल, खदान लीज मामले में चुनाव आयोग ने राज्यपाल रमेश बैस को हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है। भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुनवाई हुई थी। जिसके बाद आयोग ने राज्यपाल को अपनी राय भेजी है। चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद झारखंड में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। अब सबकी नजर राज्यपाल के फैसले पर टिकी है, इसपर अंतिम फैसला राज्यपाल को ही लेना है।