SAMASTIPUR : समस्तीपुर के सिविल सर्जन और प्रख्यात सर्जन डॉ रती रमण झा की कोरोना संक्रमण से हुई मौत ने बिहार में इलाज के सरकारी सिस्टम पर बेहद गंभीर सवाल खडे कर दिये हैं. स्वास्थ्य महकमे के एक आलाधिकारी की जांच रिपोर्ट आने में सात दिन लग गये थे. अब स्थानीय लोग और राजनेता गंभीर आरोप लगा रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकारी लापरवाही ने जब एक सिविल सर्जन की जान ले ली तो आम आदमी का क्या होगा.
सिविल सर्जन की जांच रिपोर्ट आने में सात दिन लगे
गौरतलब है कि पटना एम्स में भर्ती समस्तीपुर के सिविल सर्जन डॉ रती रमण झा की मौत बुधवार को हो गयी. वे एक सप्ताह से ज्यादा समय से एम्स में भर्ती थे. डॉ रती रमण झा की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की कलई खुल रही है.
एक दैनिक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सिविल सर्जन की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने में सात दिन लग गए. सीएस के कोरोना संक्रमित होने की आशंका के बाद पिछले आठ जुलाई को उनका सैंपल लिया गया. फिर नौ जुलाई को सैंपल जांच के लिए पटना भेजा गय. पटना से जांच रिपोर्ट जारी होने में पांच दिन लग गए. सिविल सर्जन की जांच रिपोर्ट 13 जुलाई को जारी की गयी. 14 जुलाई को सिविल सर्जन डॉ रती रमण झा को इसकी जानकारी मिली कि वे कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. उसके बाद उन्हें इलाज के लिए पटना एम्स भेजा गया. यानि एक सप्ताह तक सिविल सर्जन रिपोर्ट का इंतजार करते रहे.
आम लोगों का क्या होगा
समस्तीपुर के सिविल सर्जन की कोरोना से मौत के बाद आरजेडी के स्थानीय विधायक अख्तरूल इस्लाम शाहीन ने कहा है कि बिहार में स्वास्थ्य तंत्र तहस नहस हो गया है. पूरे राज्य में लोगों की जान भगवान के भरोसे है. सरकार जब अपने सिविल सर्जन की जान नहीं बचा सकी तो आमलोगें की बात करना ही बेमानी है.