PATNA : देश में अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है उसके ठीक अगले साल बिहार विधानसभा का भी चुनाव करवाया जाएगा। ऐसे में इन दोनों चुनावों को लेकर देश समेत राज्य की तमाम राजनीतिक पार्टियों अभी से ही अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है। ऐसे में एक बार फिर से तेजस्वी यादव को भूमिहार समाज की याद आई है। जबकि इस समय ऐसा भी था कि जब उनके पिता ने यह कहा था कि भूराबाल साफ करो। लेकिन अब तेजस्वी यादव इन्हीं भूराबाल के जरिए अपनी चुनावी राजनीति तैयार करने में लगे हुए हैं।
दरअसल, देश में अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है और इस लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा सबसे अधिक पिछड़ा समाज पर ध्यान दे रही है क्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम है कि सवर्ण समुदाय का वोट उनके साथ पहले से ही रहा है। उसमें भी भूमिहार समाज का वोट शुरू पहले से ही भाजपा के पक्ष में रहा है। ऐसे में तेजस्वी यादव भी इस समाज के वोटरों को लुभाने में गुट गए। तेजस्वी यादव इस समाज के नेता की जयंती समारोह में शिरकत कर रहे हैं पार्टी के तरफ से कार्यक्रम भी आयोजित करवा रहे हैं और इस कार्यक्रम में वह खुले मन से कह रहे हैं कि हम आपके सबसे बड़े हितेषी हैं। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि उनके पिता यह कहते थे कि- भूराबाल साफ़ करो तो फिर आज अचनाक से भूराबाल को साथ करने की योजना कहां से बनी ?
बीते शाम तेजस्वी यादव खुद की पार्टी राजद के तरफ से आयोजित डॉ श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पखवाडे के समापन समारोह में पहुंचे जहां उन्होंने कहा कि - पिछले चुनाव में पार्टी ने भूमिहार सामाज के नेता को अपना उम्मीदवार बनाया। तेजस्वी यादव ने दो टूक कहा है कि हम दिल से चाहते हैं कि भूमिहार समाज हमारे साथ रहे। भूमिहार समाज को जो भी कुछ मिला है, राजद में ही मिला है। हमने शुरुआत कर दी है, अब आप भी कदम बढ़ाइए. टिकट वितरण में कोई भेदभाव नही करेंगे।
इसके बाद अब तेजस्वी के इस बातों को लेकर भूमिहार समाज के नेता से बात की जाति है तो उनका कहना होता है कि =- राजद नेता तेजस्वी भले ही यह बोल रहे हो की उन्होंने भूमिहार समाज को बहुत बढ़ावा दिया है। लेकिन, हकीकत है कि उनकी पार्टी अभी भी माई समीकरण से ऊपर नहीं उठी है। इस बार राजद के पिछले साल में उनकी सोच बदली है और भूमिहार समुदाय से आने वाले अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को टिकट दिया,एमएलसी चुनाव में भूमिहार समुदाय के पांच नेताओं को टिकट दिया। राज्यसभा में भूमिहार समुदाय से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को भेजा। लेकिन, यह सब उनके चुनावी एजेंडे हैं नीतीश कुमार पर दबाब बनाने का ताकि वो इस समाज का समर्थन लेकर सीएम की कुर्सी पर बैठ सके।
लेकिन, अभी भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि तेजस्वी यादव के पिता और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने 'भू-रा-बा-ल साफ करो' का नारा दिया था। ये नारा भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला (कायस्थ) समुदाय को राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक करने के लिए था। लालू यादव के इस नारे के चलते आरजेडी के साथ-साथ तेजस्वी यादव के लिए आगे की सियासी राह मुश्किल हो रही थी। लेकिन, अब तेजस्वी अपनी पार्टी को एम-वाई के दायरे से निकलकर ए-टू-जेड की पार्टी बनाने में लगे हैं।
वहीं, राजनितिक जानकारों की मानें तो बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन में परिवर्तन के बाद भूमिहार समुदाय की राजनीतिक अहमियत बढ़ गई है। कांग्रेस से लेकर जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी तक भूमिहारों पर मेहरबान नजर आ रही हैं। जो लालू प्रसाद यादव ने 'भू-रा-बा-ल साफ करो' का नारा दिया था। अब वो कांग्रेस की मंच से भूमिहार समाज के नेता को याद करते हैं और भूमिहार समाज पर उन्हें याद न करने का आरोप लगाते हैं। अब उनके बेटे तेजस्वी यादव भूमिहार समाज को गले लगाने की बात कर रहे हैं। लेकिन, सवाल भी भी बरकार है कि बिहार में करीब तीन दशक तक राजनीति में हाशिए पर रहने वाले भूमिहार अगर एकाएक खास इन लोगों के ख़ास क्यों हो गए हैं।