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चुनाव आयोग ने चिराग और पारस को बुलाया, चुनाव चिन्ह से जुड़ा है मामला

1st Bihar Published by: Updated Tue, 15 Nov 2022 05:39:54 PM IST

चुनाव आयोग ने चिराग और पारस को बुलाया, चुनाव चिन्ह से जुड़ा है मामला

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पटना : लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास ) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ( पारस ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और पशुपति पारस को चुनाव आयोग ने 29 नवंबर को दोपहर तीन बजे चुनाव चिन्ह आवंटित करने को लेकर इन दोनों को बुलाया है। मालूम हो कि फिलहाल चिराग पासवान की पार्टी के पास जो चुनाव चिन्ह है वो हेलीकाप्टर है। वहीं, पशुपति पारस की पार्टी के पास जो चुनाव चिन्ह है वो सिलाई मशीन है। 


दरअसल, लोजपा में दो गुट होने के बाद पिछले दिनों चुनाव आयोग ने पार्टी सिंबल को फ्रीज कर दिया है। जिसके बाद चाचा पशुपति पारस और चिराग पासवान ने अपनी - अपनी पार्टी बनाकर अलग चुनाव मैदान में उतरने का एलान किया। जिसके बाद चिराग कि पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और उन्हें चुनाव चिन्ह हेलिकॉप्टर दिया गया है। जबकि उनके चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी होगा। उन्हें चुनाव चिन्ह सिलाई मशीन दिया गया है।  इसके बाद चिराग पासवान और पशुपति पारस ने चुनाव आयोग के पास पत्र लिखकर लोजपा का पुराना चुनाव बंगला देने कि मांग उठाई थी। जिसके बाद अब इस मसले को लेकर बातचीत करने को आयोग ने दोनों को 29 नवंबर को चुनाव आयोग कार्यालय में बुलाया है। 


गौरतलब हो कि, लोक जनशक्ति पार्टी के बंगले से बाहर किए गए पार्टी के दोनों धड़े अब नए नाम और निशान के साथ बिहार में फिलहाल कोई चुनाव नहीं लड़ा रहा है। भले ही बिहार में इसके बाद तीन जगहों पर विधानसभा का उपचुनाव हुआ हो, लेकिन दोनों दलों द्वारा इसमें भाजपा को समर्थन दिया है। हालांकि,अभी भी एकजुटता के नाम पर दोनों दलों के नेताओं और राष्ट्रीय अध्यक्ष का अलग - अलग राय है। जहां चिराग पासवान का कहना है कि वो अपने चाचा के साथ कभी भी समझौता नहीं कर सकते तो चाचा पशुपति पारस का कहना है कि हम अपनी पार्टी बना रखें हैं और हमारी पार्टी बेहतर काम कर रही है। जबकि वहीं दोनों पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि परिवार में थोड़ा बहुत होते रहता है, लेकिन बाद में सबकुछ ठीक हो जाता है। 


बहरहाल, अब देखना यह है कि, चुनाव आयोग द्वारा इस बुलावे के बाद क्या निर्णय आता है और दोनों चाचा - भतीजा को अलग - अलग चुनाव चिन्ह मिलता है या फिर ये लोग उससे पहले सुलह कर लेते हैं।  हालांकि, फिलहाल तो इस बात की गुंजाइश बेहद कम दिख रही है कि दोनों आपस से कोई सुलह करने वाले हैं। इसलिए तय यही माना जा रहा है कि चुनाव आयोग इन दोनों को वापस से चुनाव चिन्ह आवंटित करेगी और पार्टी का पुराना चुनाव चिन्ह बंगला सीज ही रहेगा।