PATNA : अपने चाचा से लड़ाई लड़ रहे चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है. चुनाव आय़ोग ने लोजपा का चुनाव चिन्ह बंगला को फ्रीज कर दिया है. अब चिराग या पारस कोई भी इस चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं कर पायेगा. दोनों में से कोई भी गुट लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का भी उपयोग नहीं कर पायेगा. चुनाव आयोग ने आज ये आदेश जारी कर दिया है.
दरअसल लोजपा का असली अध्यक्ष कौन है इस विवाद की सुनवाई चुनाव आयोग में चल रही थी. चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस दोनों ने चुनाव आयोग के समक्ष ये दावा कर रखा था कि पार्टी के असली अध्यक्ष वही हैं और उनके नेतृत्व वाले गुट को ही लोजपा की मान्यता मिलनी चाहिये. आयोग ने दोनों के दावों की पड़ताल की थी.
उप चुनाव के कारण अंतरिम आदेश
इस बीच बिहार की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का एलान कर दिया गया, जिसमें नामांकन की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है. चुनाव आयोग के समक्ष लोजपा के दोनों गुटों ने ये दावा किया था कि इस चुनाव में उसे लोजपा के नाम और चुनाव चिन्ह के उपयोग की मंजूरी दी जाये. चुनाव आय़ोग से ये भी आग्रह किया गया था कि वह 8 अक्टूबर से पहले फैसला ले ले ताकि उनके उम्मीदवार पार्टी और चुनाव चिन्ह का उपयोग कर पायें. उप चुनाव के मद्देनजर ही चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश जारी किया है.
देखिये क्या दिया है चुनाव आयोग ने आदेश-
चिराग पासवान और पशुपति पारस में से किसी का भी गुट लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का उपयोग नहीं कर पायेगा
दोनों में से कोई भी गुट लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगला का उपयोग नहीं करपायेगा
दोनों गुटों का अलग अलग नाम होगा. वे लोक जनशक्ति पार्टी से लिंक कर अपने गुट का नाम रख सकते हैं. जैसे लोजपा चिराग या लोजपा पारस
लोजपा के दोनों गुटों को अलग अलग सिंबल यानि चुनाव चिन्ह मिलेगा. दोनों अपने लिए उन चुनाव चिन्हों में से कोई एक चुन सकते हैं जो चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित हैं और किसी पार्टी को आवंटित नहीं हैं.
अगर तारापुर या कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर उपचुनाव में दोनों गुटों में से कोई अपना उम्मीदवार उतारता है तो उसे अपने नये चुनाव चिन्ह का उपयोग करना होगा.
चुनाव आय़ोग ने चिराग औऱ पारस दोनों गुटों के लिए कई दिशा निर्देश भी जारी किये हैं. देखिये क्या दिया गया है उन्हें निर्देश
लोजपा के दोनों गुट 4 अक्टूबर के दिन में एक बजे तक चुनाव आयोग को ये बतायेंगे कि उनके गुट का नाम क्या होगा
वे चुनाव आय़ोग को ये भी बतायेंगे कि अगर तारापुर और कुशेश्वरस्थान में उनका उम्मीदवार उतरता है तो चुनाव चिन्ह क्या होगा. वे तीन चुनाव चिन्ह चुनेंगे जिनमें से एक आवंटित किया जायेगा.
लोजपा और बंगले पर दावे की सुनवाई चलती रहेगी
वैसे चुनाव आय़ोग ने कहा है कि ये अंतरिम आदेश है. लोजपा पर किसका अधिकार है और कौन अध्यक्ष है इस पर सुनवाई जारी रहेगी. ये अंतरिम आदेश उप चुनाव को लेकर जारी किया गया है. चुनाव आयोग उप चुनाव के बाद सुनवाई करेगा. 5 नवंबर को चिराग और पारस गुट के दावों पर फिर से सुनवाई होगी.
हम आपको बता दें कि लोजपा की लडाई इस साल जून से चल रही है. पशुपति कुमार पारस ने 17 जून को चुनाव आयोग को पत्र लिख कर दावा किया था कि वे लोजपा संसदीय दल के नेता चुने गये हैं. इसी दिन पार्टी के पूर्व सांसद सूरजभान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि पशुपति पारस को लोजपा का अध्यक्ष चुन लिया गया है. पारस ने 19 जून को आय़ोग को ये बताया था कि उन्होंने अपनी कमेटी बनायी है जिसमें 2 उपाध्यक्ष, 5 महासचिव और एक सचिव बनाये गये हैं.
उधर चिराग पासवान ने भी चुनाव आयोग को कई पत्र लिखे थे. उन्होंने 15 जून को आयोग को पत्र लिखा था कि लोजपा से पशुपति पारस, वीणा देवी, महबूब अली कैसर, चंगन सिंह औऱ प्रिंस राज को निकाल दिया गया है. चिराग पासवान ने 15 जून से 21 जुलाई तक चुनाव आयोग को चार पत्र लिख कर पार्टी पर अपना दावा जताया था. उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने 22 जून को चुनाव आयोग को पत्र लिख कर कहा था कि वह पशुपति पारस द्वारा लोजपा के नाम के उपयोग पर रोक लगाये. चिराग पासवान ने भी सितंबर में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था और कहा था कि वह पशुपति पारस द्वारा लोजपा के नाम के उपयोग पर रोक लगाये.
चिराग के पत्र के बाद चुनाव आयोग ने पशुपति पारस को 27 सितंबर को पत्र लिखकर कहा था कि वे 8 अक्टूबर तक जवाब दें. अगले ही दिन पारस ने चुनाव आय़ोग को कहा कि वे लोकसभा में लोजपा संसदीय दल के नेता हैं. उनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका खारिज कर दी गयी है. ये सुनवाई चल ही रही थी कि बीच में उप चुनाव आयोग आ गया. उपचुनाव में दोनों गुट में से कौन लोजपा का नाम और चुनाव चिन्ह उपयोग में लायेगा इसका फैसला नहीं हो पाया था. लिहाजा चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश जारी किया है.