Bihar Teacher Leave Rules : बिहार के स्कूलों में बदले छुट्टी के नियम, छुट्टी की मनमानी पर लगेगा ब्रेक; नई लीव पॉलिसी से होगी सख्ती

बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी छुट्टियों पर अब रोक लगेगी। शिक्षा विभाग ने नई स्कूल लीव पॉलिसी लागू कर दी है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी और स्कूलों में अनुशासन मजबूत होगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 21 Dec 2025 03:26:26 PM IST

Bihar Teacher Leave Rules : बिहार के स्कूलों में बदले छुट्टी के नियम, छुट्टी की मनमानी पर लगेगा ब्रेक; नई लीव पॉलिसी से होगी सख्ती

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Bihar Teacher Leave Rules : बिहार के सरकारी स्कूलों में अब वह पुरानी परिपाटी खत्म होने जा रही है, जिसमें एक ही दिन कई शिक्षक छुट्टी पर चले जाते थे और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। शिक्षा विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए नई स्कूल लीव पॉलिसी लागू कर दी है। इस पॉलिसी का साफ संदेश है—अब बच्चों की पढ़ाई से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


दरअसल, हाल के महीनों में शिक्षा विभाग द्वारा किए गए औचक निरीक्षणों में यह बात सामने आई कि कई स्कूलों में एक ही दिन आधे से ज्यादा शिक्षक छुट्टी पर पाए गए। कहीं प्रधानाध्यापक ही अनुपस्थित थे तो कहीं विषय शिक्षक। नतीजा यह हुआ कि कक्षाएं खाली रहीं, बच्चों को पढ़ाने वाला कोई नहीं था और सिलेबस समय पर पूरा नहीं हो पा रहा था। अभिभावकों की शिकायतें भी लगातार मिल रही थीं। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए विभाग ने शिक्षकों की छुट्टियों को लेकर नए और सख्त नियम बनाए हैं।


अब बिना अनुमति छुट्टी लेना होगा मुश्किल

नई पॉलिसी के तहत अब शिक्षक मनमर्जी से छुट्टी नहीं ले सकेंगे। प्राथमिक विद्यालयों में एक दिन में केवल एक ही शिक्षक को छुट्टी की अनुमति दी जाएगी। वहीं, मध्य विद्यालय, उच्च विद्यालय और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कुल शिक्षकों की संख्या के सिर्फ 10 प्रतिशत शिक्षक ही एक दिन में छुट्टी पर जा सकेंगे। अगर इससे अधिक शिक्षकों को छुट्टी देनी है तो इसके लिए संबंधित नियंत्रक पदाधिकारी से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा।


सामान्य परिस्थितियों में बिना पूर्व अनुमति छुट्टी लेना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि, आकस्मिक या आपात स्थिति में थोड़ी राहत दी गई है। ऐसे मामलों में शिक्षक मोबाइल या व्हाट्सऐप के माध्यम से सूचना देकर छुट्टी ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी एक दिन पहले आवेदन देना जरूरी होगा। यानी अब “अचानक छुट्टी” की संस्कृति पर भी लगाम लगेगी।


साल में सिर्फ 16 दिन आकस्मिक अवकाश

नई बिहार स्कूल लीव पॉलिसी के अनुसार, एक शिक्षक को पूरे साल में अधिकतम 16 दिन का ही आकस्मिक अवकाश (कैजुअल लीव) मिलेगा। अगर किसी शिक्षक की पोस्टिंग साल के बीच में होती है, तो उसे हर महीने के हिसाब से 1.33 दिन का आकस्मिक अवकाश मिलेगा। यानी जितने महीने की सेवा, उतने अनुपात में छुट्टी।


इसके अलावा, “विशेष आकस्मिक छुट्टी” के नियम भी तय किए गए हैं। यह छुट्टी महीने में अधिकतम दो लगातार दिनों के लिए और पूरे साल में सिर्फ एक बार ही दी जाएगी। इस विशेष छुट्टी को रविवार या अन्य सार्वजनिक अवकाश से जोड़कर अधिकतम 12 दिन तक की छुट्टी ली जा सकेगी। इससे ज्यादा लंबी छुट्टी लेने की मनमानी अब संभव नहीं होगी।


त्योहारों के साथ सीएल जोड़ने पर रोक

अब तक कई शिक्षक गर्मी की छुट्टी, दुर्गा पूजा, दिवाली या छठ जैसे बड़े त्योहारों के साथ आकस्मिक अवकाश जोड़कर लंबी छुट्टी ले लेते थे। इससे स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती थी। नई पॉलिसी में इस पर भी सख्त रोक लगा दी गई है। अब शिक्षक त्योहारों की छुट्टियों के साथ सीएल नहीं जोड़ पाएंगे। इससे स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित होगी और बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा।


छुट्टी का पूरा रिकॉर्ड रखना होगा जरूरी

नई व्यवस्था के तहत प्रधान शिक्षक की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी गई है। अब हर प्रधान शिक्षक को अपने स्कूल के प्रत्येक शिक्षक की छुट्टी का अलग-अलग और अपडेटेड रिकॉर्ड रखना होगा। कौन शिक्षक कब छुट्टी पर गया, कितनी छुट्टी बची है और किस कारण से छुट्टी ली गई—इन सभी बातों का विवरण स्कूल स्तर पर दर्ज करना अनिवार्य होगा। नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित शिक्षक के साथ-साथ जिम्मेदार पदाधिकारी पर भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।


शिक्षा विभाग का क्या कहना है?

शिक्षा विभाग का मानना है कि ये नए नियम स्कूलों में अनुशासन और व्यवस्था सुधारने में अहम भूमिका निभाएंगे। विभाग का साफ कहना है कि बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी किसी भी तरह की लापरवाही अब स्वीकार नहीं की जाएगी। नियमित शिक्षक उपस्थिति से न केवल सिलेबस समय पर पूरा होगा, बल्कि छात्रों का शैक्षणिक स्तर भी बेहतर होगा।


अब आगे क्या?

नई स्कूल लीव पॉलिसी से यह उम्मीद की जा रही है कि स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी पर रोक लगेगी और शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। हालांकि, यह देखना भी जरूरी होगा कि शिक्षक इस नई व्यवस्था को कितनी गंभीरता से अपनाते हैं और प्रशासन इसका कितना सख्ती से पालन कराता है। अगर नियम सही ढंग से लागू होते हैं, तो इसका सीधा फायदा बिहार के लाखों छात्रों को मिलेगा।