GAYA: झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साथ छोड़ने के बाद इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। जिस तरह से चंपई सोरेन को सीएम की कुर्सी से हटाया गया उसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। रक्षाबंधन के मौके पर गया पहुंचे केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी का दर्द छलक गया और उन्होंने अपने मन की बात कह दी। मांझी ने कहा कि किसी को सम्मान देकर उसे बेइज्जत करना गलत है और सियासत में इस तरह की बात नहीं होनी चाहिए।
जीतनराम मांझी ने कहा कि चंपई सोरेन को जेएमएम से जो झटका दिया गया है उससे हमलोग भी दुखी हैं। ऐसा नहीं होता है कि किसी को इज्जत दिया जाए और फिर कान पकड़कर उसे निकाल दिया जाए और उनके साथ यही हुआ है। शायद चंपई सोरेन को यही सोचकर सीएम बनाया गया था कि वह कुछ करने वाले नहीं हैं, और जो मन में आएगा वह करेंगे। चंपई सोरेन सात महीना सीएम रहे और झारखंड में अच्छा काम करके दिखा दिए।
उन्होंने कहा कि चंपई सोरेन हेमंत सोरेन के पदचिह्नों पर चल रहे थे और कही कुछ ऐसा नहीं लग रहा था कि वह इस तरह का कदम उठाएंगे। किसी को पद से हटाने की एक प्रक्रिया होती है, उस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए था। हेमंत सोरेन कहते कि हमने आपको बनाया है और अब हम आ गए हैं, इस्तीफा दे दीजिए तो वह भी नहीं किया गया। हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आते हीं चंपई सोरेन के जितने कार्यक्रम थे, सभी को रद्द कर दिया गया।
मांझी ने कहा कि उस वक्त हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री नहीं बने थे लेकिन पदाधिकारियों से कहकर चंपई सोरेन के कार्यक्रम को रद्द करा दिया और फिर विधायक दल की बैठक में बुलाकर जबरदस्ती उनसे इस्तीफा ले लिया गया। इसके बाद हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री बन गए। ऐसा लगता है कि किसी को मान मर्यादा देकर उसको फिर अमर्यादित कर दें, यह कहीं से भी उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में चंपई सोरेन अगर कुछ बोलते हैं तो अब उनको तय करना है कि वह क्या कदम उठाएंगे लेकिन उनको पद से हटाने के लिए जिस प्रक्रिया को अपनाया गया वह पूरी तरह से गलत था। उससे हमलोग भी दुखी हैं और चाहते है कि सियासत में इस तरह का काम नहीं होना चाहिए।
बता दें कि इसी तरह अपनी सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पद से इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मांझी नीतीश कुमार के मन माफिक काम करने के बजाए खुद फैसले लेने लगे। जिसके बाद नीतीश कुमार के जबाव में मांझी को 19 फरवरी 2015 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था। मांझी के दिल में वह दर्द आज भी बरकरार है और अक्सर उनका दर्द छलक जाता है।