विधायिका का सम्मान करे कार्यपालिका, बजट सत्र के पहले आलाधिकारियों के साथ बैठक में विधानसभाध्यक्ष कड़े तेवर दिखाए

विधायिका का सम्मान करे कार्यपालिका, बजट सत्र के पहले आलाधिकारियों के साथ बैठक में विधानसभाध्यक्ष कड़े तेवर दिखाए

PATNA : आगामी 19 फरवरी से शुरू होने वाले बिहार विधानमंडल के बजट सत्र को लेकर विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस हाई लेवल मीटिंग में बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी भी मौजूद थे। बैठक में राज्य के मुख्य सचिव डीजीपी समेत पटना के डीएम और एसएसपी समेत कई विभागों के आला अधिकारी मौजूद थे। बैठक के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अधिकारियों को विधायिका की अहमियत बताई। स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान अधिकारियों को हर परिस्थिति में करना चाहिए खास तौर पर प्रोटोकॉल का पालन बेहद जरूरी है। 


विधानसभाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी के सामने कड़े लहजे में यह बता दिया कि विधायकों के साथ अधिकारियों का बर्ताव सम्मानजनक होना चाहिए। विधानसभा में उठाए गए सवालों के जवाब में अधिकारियों की तरफ से की जाने वाली देरी को भी विजय कुमार सिन्हा ने गंभीरता से लिया। उन्होंने मुख्य सचिव से कहा कि विधानसभा में समय से जवाब उपलब्ध हो यह सुनिश्चित करें। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सरकारी पदाधिकारी चाहे जहां कहीं भी पदस्थापित हो उन्हें विधायकों के साथ प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और उनके साथ सम्मान दिखाना चाहिए। अगर विधायक और विधान पार्षद फोन करते हैं तो अधिकारी उनका फोन अवश्य उठाएं और प्रोटोकॉल के मुताबिक सम्मान देते हुए विधायकों विधान पार्षदों की बात सुनकर उसका निवारण करें। 


बैठक के दौरान स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के तेवर देखने लायक थे। लंबे अरसे बाद ऐसा हुआ है कि विधानसभा में सत्र को लेकर बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के सम्मान को लेकर कड़े तेवर अपनाए। विजय कुमार सिन्हा ने बैठक के दौरान मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि अधिकारियों को यह गाइडलाइन जारी किया जाए कि सत्र के दौरान पूछे गए प्रश्नों से संबंधित जानकारियां ससमय उपलब्ध कराएं। किसी तरह की ढिलाई न बरती जाए। विधानसभा में जनहित के सवाल उठाए जाते हैं और अगर सवालों के जवाब में लापरवाही बरती गई तो यह बेहद दुखद पक्ष होगा। उन्होंने निर्देश दिया है कि हर हाल में सदन में पूछे गए प्रश्न का जवाब 5 दिन पहले उपलब्ध हो जाना चाहिए ताकि सत्ता पक्ष के लोग मुस्तैदी से अपनी भूमिका निभा सकें।