‘स्कूलों के हेडमास्टर सरकारी राशि का कर रहे बंदरबांट’ विधानसभा में BJP विधायक ने अपनी ही सरकार से पूछा सवाल

‘स्कूलों के हेडमास्टर सरकारी राशि का कर रहे बंदरबांट’ विधानसभा में BJP विधायक ने अपनी ही सरकार से पूछा सवाल

PATNA: विधानसभा में बीजेपी विधायक डॉक्टर सुनील कुमार ने अपनी ही सरकार से स्कूलों में सरकारी राशि के हो रहे बंदबांट का मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्कूलों के प्रभारी प्रधानाध्यापक को विद्यालय के विकास एवं जरूरी सामानों को खरीदने के लिए 50 हजार से लेकर पांच लाख तक खर्च करने का जो अधिकार दिया है वह नियमों के विरुद्ध है। 


बीजेपी विधायक ने सदन को बताया कि इस आदेश के कारण बिना प्रबंध समिति के अनुमति के बिना नालंदा में हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा विकास कोष की राशि को निकालकर उसका बंदरबांट किया जा रहा है। इसी तरह पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और प्रभारी प्रधानाध्यापकों द्वारा सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। विभाग द्वारा जारी इस आदेश को तत्काल रद्द करते हुए पहले की तरह रखते हुए इस बंदरबांट को रोकने के लिए जांच कराने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाए।


बीजेपी विधायक के सवाल का सरकारी की तरफ से जबाव देते हुए विभागीय मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि अगर सरकार द्वारा दिए गए निर्देषों का कहीं उल्लंघन हो रहा है तो सरकार इसकी जांच कराएगी। उन्होंने बताया कि पहले जो ढाई लाख की राशि विद्यालयों के विकास मद में खर्च की जाती थी सरकार ने उसे बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दिया है, बस इतना ही फर्क आया है लेकिन विधानसभा सदस्य द्वारा जो बातें उठाई गई हैं वह गंभीर विषय है। राशि के दुरुपयोग या गबन को सरकार किसी भी हालत में बख्शना नहीं चाहती है। हालांकि बीजेपी विधायक द्वारा बिहारशरीफ के जिस विद्यालय का जिक्र किया गया है, विभाग की तरफ से जो रिपोर्ट आई है, उसमें उस नाम से कोई विद्यालय नहीं है।


शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिस भी विद्यालय में राशि के बंदरबांट की गई है या करने की साजिश की जा रही है इसकी सूचना पक्ष और विपक्ष के विधायक दें, तुरंत इसपर सरकार एक्शन लेगी। जिसपर बीजेपी विधायक ने कहा कि जब पहले से प्रावधान था। विकास राशि का बंदरबांट न हो इसके लिए विद्यालय प्रबंध संमिति में दो व्यक्तियों को निर्देशित किया गया था कि वहीं बैंक खाते का संचालन करेंगे लेकिन राज्यपाल के अध्यादेश के विरोध में सरकार के एक पदाधिकारी ने प्रधानाध्यापक को बिना प्रबंध समिति के निर्देश के 50 हजार से 5 लाख तक की राशि बैंक से निकालकर खर्च करने का प्रावधान कर दिया। जिसके कारण पूरे बिहार राज्य में सरकारी पैसे का बंदरबांट हो रहा है।


मंत्री ने बताया कि प्रबंध समिति के अधिकारों में कहीं कोई कटौती नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि अगर किसी प्रधानाध्यापक ने पचास हजार रुपए ही खर्च किया है और प्रबंध समिति उसे गलत मानती है तो उसकी जांच कराकर रिपोर्ट दें सरकार उसपर कार्रवाई करेगी। किसी को अधिकार देने का मतलब यह नहीं है कि वह गड़बड़ी करने लगे। बिना प्रबंध समिति के अनुमति के प्रधानाध्यापक को पैसे खर्च करने का अधिकार नहीं है और अगर ऐसा हो रहा है तो सरकार जांच कर सख्त कार्रवाई करेगी।