PATNA: भाजपा ने सम्राट चौधरी को बिहार बीजेपी का नया अध्यक्ष बना दिया है. 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने सम्राट चौधरी को बिहार जैसे अहम राज्य की कमान सौंपी है. लेकिन बात सिर्फ संगठन की नहीं है, भाजपा ने ये साफ साफ संकेत दे दिया है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में सम्राट चौधरी ही मुख्यमंत्री पद के उसके दावेदार होंगे. बड़ी बात ये है कि सम्राट चौधरी अमित शाह की खास पसंद हैं।
बीजेपी के एक नेता ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए अमित शाह की एक घोषणा की याद दिलायी. दरअसल पिछले साल सितंबर में अमित शाह किशनगंज के दौरे पर आये थे. वहां मीडियाकर्मियों से अनौपचारिक बात करते हुए अमित शाह ने ये कहा था कि बीजेपी बिहार में पुरानी परंपरा को तोडेगी. अब तक बीजेपी की ये परंपरा रही है कि वह चुनाव से पहले सीएम पद का दावेदार घोषित नहीं करती रही है. लेकिन बिहार में अगले विधानसभा चुनाव से पहले सीएम पद का चेहरा घोषित कर दिया जायेगा.
अमित शाह ने ये भी कहा था कि 2024 में ही उनकी पार्टी बिहार में सीएम पद का चेहरा घोषित कर देगी. अमित शाह ने ये भी एलान कर रखा है कि 2025 तक बिहार में बीजेपी के कामकाज की वे खुद निगरानी करेंगे. बीजेपी का हर नेता ये समझ रहा है कि अमित शाह ने अपनी पसंद से ही सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
अब जब लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सम्राट चौधरी को अध्यक्ष बना दिया गया है तो इसके मायने और मकसद साफ है. दरअसल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है. यानि बीजेपी ने 2024 और 2025 का चुनाव सम्राट चौधरी की अगुआई में ही लड़ने का फैसला लिया है. सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए बीजेपी ने अपनी कई परंपरायें भी तोडी. सम्राट चौधरी सिर्फ पांच साल पहले पार्टी में आये हैं. 2018 में उन्होंने बीजेपी ज्वायन किया था. उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बीजेपी या आरएसएस से जुड़ी नहीं रही है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर पार्टी और संगठन से जुड़े पुराने नेताओं को ही बिठाती रही है. लेकिन सम्राट चौधरी के लिए वह परंपरा तोड़ी गयी है.
क्यों हैं सम्राट चौधरी पहली पसंद
बीजेपी ने फिलहाल सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और आगे वे मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनेंगे. सवाल ये उठ रहा है कि सम्राट चौधरी ही भाजपा आलाकमान की पहली पसंद क्यों हैं. भाजपा के एक नेता ने बताया कि इसके दो कारण हैं. पहला कारण है जातीय समीकरण. सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं. ये वोट बैंक है जिसके सहारे नीतीश कुमार की राजनीति फली फूली. नीतीश का आधार वोट लव-कुश समीकरण ही माना गया. लव यानि कुर्मी और कुश यानि कुशवाहा. लेकिन हालिया दिनों में कुशवाहा जाति का नीतीश से मोहभंग होने लगा है. उपेंद्र कुशवाहा की बगावत के बाद कुशवाहा तबके की नाराजगी खुल कर सामने आयी है.
दरअसल भाजपा ये चाह रही है कि कुशवाहा जाति के वोटर नीतीश का साथ छोडे तो कहीं और ना चले जायें. वे बीजेपी के पास आये. बिहार में किस जाति की कितनी तादाद है इसका कोई प्रमाणिक आंकड़ा फिलहाल नहीं है. लेकिन माना यही जाता है कि मुसलमान और यादव के बाद कुशवाहा जाति के वोटरों की संख्या ही बिहार में सबसे ज्यादा है. अगर कुशवाहा जाति के वोटर पूरी तरह बीजेपी के पास आ जाते हैं तो बिहार का सारा सियासी समीकरण ही बदल जायेगा. भाजपा नेतृत्व मान रहा है कि सम्राट चौधरी में वह क्षमता है कि अपनी जाति के वोटरों को पार्टी के साथ जोड़ सकते हैं.
आक्रामक राजनीति भी पसंद आयी
भाजपा के एक नेता ने बताया कि सम्राट चौधरी की आक्रामक राजनीति भी पार्टी आलाकमान को पसंद आ रही है. बीजेपी इन दिनों बिहार में नेतृत्व की कमी से जूझ रहा है. पार्टी के पुराने नेता किनारे लगा दिये गये हैं. भूपेंद्र यादव के बिहार बीजेपी के प्रभारी रहते सारे पुराने नेताओं को साइड लगा दिया गया. जिन नये लोगों को सामने लाया गया, उनमें नीतीश कुमार और खास कर तेजस्वी यादव को ठीक से चुनौती देने का माद्दा नहीं दिख रहा है. सम्राट चौधरी उसमें अपवाद हैं. उन्होंने बिहार विधान परिषद से लेकर बाहर की जनसभाओं में लगातार आक्रामक तरीके से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर हमला बोला है. उनकी ये शैली भी बीजपी आलाकमान को पसंद आ रही है.
सम्राट को सीएम का दावेदार बनाना तय
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि और भी ऐसे तथ्य हैं जो ये बता रहे हैं कि अगर 2025 में बीजेपी बिहार की सत्ता में आती है तो सम्राट ही सीएम बनेंगे. महाराष्ट्र, त्रिपुरा, असम जैसे राज्यों में जो हुआ वह इसकी गवाही देता है. महाराष्ट्र में 2013 में बीजेपी ने देवेंद्र फडनवीस को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 में महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा और जब जीत हुई तो फडनवीस ही मुख्यमंत्री बनाये गये. त्रिपुरा में 2016 में बिप्लव कुमार देव को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 2018 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू की थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी त्रिपुरा में सत्ता में आयी तो बिप्लव कुमार देव ही मुख्यमंत्री बनाये गये. ऐसी ही कहानी सर्बानंद सोणोवाल की रही. जो असम प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के बाद जब पार्टी सत्ता में आयी तो मुख्यमंत्री भी बना दिये गये.
ऐसे तमाम वाकये बता रहे हैं कि सम्राट चौधरी अगले चुनाव में भाजपा के सीएम पद के दावेदार होंगे. हालांकि उनकी पहली परीक्षा 2024 के लोकसभा चुनाव में होगी. अगर सम्राट चौधरी पार्टी का प्रदर्शन ठीक करा पाने में सफल होते हैं तो 2025 का रास्ता साफ हो जायेगा.