जेडीयू-बीजेपी में और बढ़ी तल्खी: नीतीश की पार्टी ने कहा अब बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग नहीं करेंगे, मांग करते-करते हम थक गये

जेडीयू-बीजेपी में और बढ़ी तल्खी: नीतीश की पार्टी ने कहा अब बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग नहीं करेंगे, मांग करते-करते हम थक गये

PATNA : बिहार की सत्ता के दो प्रमुख साझीदार दलों के बीच तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है. एक दिन पहले नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ खुला हमला बोला था. आज उनकी पार्टी ने एलान कर दिया कि अब केंद्र की मोदी सरकार से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेंगे. कहा गया है-अब कितना मांग करें, मांग करते-करते थक गये, कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जाहिर है बीजेपी औऱ जेडीयू के बीच गठबंधन की एक औऱ गांठ खुल गयी है.  


अब विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं 
नीतीश कुमार की कोर कमेटी के सदस्य औऱ बिहार सरकार में योजना-विकास औऱ ऊर्जा विभाग के मंत्री विजेंद्र यादव ने आज ये एलान कर दिया. पटना में पत्रकारों से बात करते हुए विजेंद्र यादव ने कहा“विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते करते हम थक गये. केंद्र सरकार ने विशेष राज्य के दर्जा को लेकर कमेटी का भी गठन किया था. उसकी रिपोर्ट भी आयी. लेकिन उसके बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ. अब कितनी मांग की जाये.”


विजेंद्र यादव ने कहा कि मांग करने की एक सीमा होती है. हमलोग लगातार मांग करते रहे. अब कितने दिन अनवरत यही किया जाये. अब हम लोग अपना काम कर रहे हैं. वैसे, विजेंद्र यादव ने कहा कि उनकी पार्टी और सरकार केंद्र सरकार से ये मांग करती रहेगी कि वह बिहार को विशेष मदद दे. बिहार को सभी क्षेत्रों में विशेष मदद की जरूरत है. इसलिए विशेष मदद मिलनी चाहिये. केंद्र में कोई भी सरकार हो बिहार ये मांग करता रहेगा. 


16 साल पुराना एजेंडा भूल गये नीतीश कुमार
2005 में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार आयी थी. तब से ही नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव के बाद तो उन्होंने ये एलान कर दिया था कि जो कोई भी पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी वे उसका समर्थन कर देंगे. उस वक्त नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ चुनाव लडे थे. जबकि केंद्र में मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार थी. नीतीश कुमार ने ये इशारा कर दिया था कि अगर केंद्र की कांग्रेस सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दे तो वो कांग्रेस के साथ जाने को भी तैयार है.


हालांकि 2013 में केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने बिहार समेत देश के कुछ दूसरे राज्यों द्वारा विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर विचार करने के लिए रघुराम राजन कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना कि बिहार देश में उड़ीसा के बाद सबसे पिछडा राज्य है. लेकिन रघुराम राजन कमेटी ने किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने का प्रावधान खत्म कर देने की ही सिफारिश कर दी थी. ये वो दौर था जब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक करार देकर बीजेपी से नाता तोड़ चुके थे और बिहार में अकेले सरकार चला रहे थे. रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में ढोल नगाड़ा बजाकर जश्न मनाया गया था. बाद में पता चला कि इस कमेटी ने तो विशेष राज्य का दर्जा देने की कोई सिफारिश ही नहीं की है.


बीजेपी से दूरी और बढ़ने का संकेत
नीतीश कुमार के खास मंत्री विजेंद्र यादव के बयान के बाद फिर से इस बात का संकेत मिला है कि जेडीयू औऱ बीजेपी के बीच दूरी बढ़ती जा रही है. एक दिन पहले नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना को लेकर बीजेपी के खिलाफ काफी तल्ख तेवर दिखाये थे. अब विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं करने का एलान कर दिया गया है. जाहिर है जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की एक और गांठ खुल गयी है.