PATNA : कोरोना काल में बिहार विधान परिषद की 10 और सीटें आज खाली हो जायेंगी. राज्यपाल कोटे से मनोनीत हुए 10 विधान पार्षदों का कार्यकाल आज पूरा हो जायेगा. ये सभी जेडीयू के एमएलसी हैं. उनके रिटायर होते ही बिहार विधान परिषद में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन जायेगी.
दस विधान पार्षदों का कार्यकाल आज होगा समाप्त
दरअसल बिहार विधान परिषद की 12 सीटें राज्यपाल कोटे से मनोनयन से भरी जाती है. राज्यपाल का तो बस नाम होता है. सरकार जिन नामों को विधान पार्षद बनाने की सिफारिश करती है उन्हें राज्यपाल द्वारा विधान पार्षद मनोनीत कर दिया जाता है. 2014 में नीतीश कुमार ने ऐसे 12 MLC का मनोनयन कराया था. उनमें से 2 पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. बाकी बचे 10 विधान पार्षदों का कार्यकाल आज यानि 23 जून को समाप्त हो जायेगा.
इन विधान पार्षदों का आज कार्यकाल होगा समाप्त
राज्यपाल कोटे से मनोनीत हुए दिन 10 विधान पार्षदों का कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है वे सभी जेडीयू के सदस्य हैं. जो MLC आज रिटायर हो रहे हैं उनके नाम ये हैं
राम लखन राम रमण, विजय कुमार मिश्रा, राणा गंगेेश्वर सिंह, जावेद इकबाल अंसारी, शिव प्रसन्न यादव, संजय कुमार सिंह, रामवचन राय, ललन कुमार सर्राफ, रणवीर नंदन और रामचंद्र भारती.
दरअसल राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल विधान परिषद के 12 सदस्यों का मनोनयन करते हैं. 2014 में मनोनीत सभी 12 सदस्य जदयू के थे. इनमें से एक राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सांसद बन गये. 2014 में मनोनीत हुए नरेंद्र सिंह की सदस्यता रद्द हो गयी थी. उनकी जगह बाद में लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस को एमएलसी बनाया गया. बाद में वे भी लोकसभा में चले गए. लिहाजा राज्यपाल द्वारा मनोनीत 10 विधान पार्षद का ही कार्यकाल बचा था जो आज समाप्त हो जायेगा.
बीजेपी बन जायेगी सबसे बड़ी पार्टी
इन 10 विधान पार्षदों को रिटायर होने के बाद आज बिहार विधान परिषद में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी. देखिये आज 10 विधान पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बिहार विधान परिषद की दलगत स्थिति क्या होगी.
बीजेपी- 17(बीजेपी को निर्दलीय अशोक अग्रवाल का भी समर्थन हासिल है.)
जेडीयू- 15
आरजेडी- 08
कांग्रेस- 2
हम- 01
लोजपा- 01
विधान परिषद की 27 सीटें खाली हुई
कोरोना संकट के बीच बिहार विधान परिषद की 27 सीटें खाली हो गयी हैं. आज राज्यपाल कोटे से मनोनीत 10 विधान पार्षदों के रिटायर होने से पहले 17 और एमएलसी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. मई महीने में ही विधानसभा और शिक्षक-स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की क्रमश: नौ एवं आठ सीट खाली हुई हैं. इनमें विधानसभा कोटे की नौ में से छह सीटें जदयू और तीन भाजपा की थीं. वहीं, शिक्षक-स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की आठ में से भाजपा, जदयू और भाकपा की दो-दो सीटें थीं, जबकि कांग्रेस और निर्दलीय सदस्य एक-एक थे.
इन 17 सीटों पर चुनाव होना था लेकिन कोरोना संकट के कारण चुनाव को टाल दिया गया. अब ये चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह कब चुनाव कराने के लिए तैयार होता है. विधानसभा और शिक्षक-स्नातक कोटे से चुने गये जो विधान पार्षद पहले ही पूर्व MLC हो चुके हैं उनमें मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार के साथ साथ कांग्रेस के मदन मोहन झा शामिल हैं.
राज्यपाल कोटे से हो सकता है मनोनयन
हालांकि इस दौरान राज्यपाल कोटे से मनोनयन में कोई परेशानी नहीं है. चूंकि मनोनयन में कोई चुनाव नहीं होना है लिहाजा कोरोना का कोई असर नहीं पड़ना है. लेकिन ये नीतीश कुमार को तय करना है कि वे कब मनोनयन की अनुशंसा करते हैं. हालांकि 2014 में जब मनोनयन हुआ था तब नीतीश कुमार बीजेपी के बगैर अकेले सरकार चला रहे थे. इस दफे बीजेपी सरकार में है. लिहाजा राज्यपाल कोटे से होने वाले मनोनयन में बीजेपी को भी हिस्सा देना होगा. उधर चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी राज्यपाल कोटे से मनोनयन में अपना हिस्सा मांग रही है. लेकिन ये नीतीश कुमार पर निर्भर करता है कि वे लोक जनशक्ति पार्टी के लिए सीट छोड़ेंगे या नहीं.