PATNA : बिहार में आज यानी 7 जनवरी से गणना शुरू हो गई है। इसको लेकर आज अहले सुबह पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर खुद इस कार्य में जुट गए हैं। इनके तरफ से पटना नगर निगम के वार्ड संख्या 27 में (गोलघर पार्क के पीछे) बैंक रोड में जाति आधारित गणना, 2022 का निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने देखा की गणना कर्मी राजधानी पटना के मकानों की गिनती कर उसपर निशान लगाना शुरू कर दिए हैं।
इसको लेकर डीएम ने बताया कि , राज्य के अंदर दो चरणों में गणना किया जाएगा। इसमें पहले चरण में मकान की गणना शुरू हो रही है। इस दौरान राजधानी पटना के बड़े - बड़े अपार्टमेंट के आगे निशान लगाया जा रहा है। इसके साथ ही इस अपार्टमेंट में बनें मकानों की भी अलग से गणना की जाएगी। राजधानी पटना में लगभग 20 लाख परिवार की गिनती की जाएगी। इसको लेकर 12,696 गणना ब्लॉक बनाए गए हैं। इसमें दो हजार सुपरवाइजर को लगाया गया है। अभी घर और परिवार की गणना की जाएगी। उसके बाद अगले चरण में सामाजिक, आर्थिक गणना की जाएगी।
इसके आलावा उन्होंने बताया कि, इसको लेकर यदि किन्हीं की कोई शिकायत है तो उसको लेकर भी सभी प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी, थाना प्रभारी से वो अपनी शिकायत कर सकते हैं। इसके आलावा अनुमंडल स्तर पर भी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी,अनुमंडल पदाधिकारी इसकी शिकायतों का निपटारा करेंगे। नगर में नगर कार्यपालक पदाधिकारी शिकायतों का निपटारा करेंगे।
जानकारी हो कि, इस जाति आधारित गणना के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। यह राशि बिहार आकस्मिकता निधि से दिया जाएगा। पहले चरण में बिहार जाति आधारित गणना में 4 भाग में फॉर्म को भरा जाएगा। पहले में जिला का नाम और उसका कोड दिया गया है। फिर प्रखंड, नगर निकाय का नाम और उसका कोड दिया गया है। पंचायत का नाम और उसका कोड है। वार्ड संख्या उसका कोड है और गणना ब्लॉक नंबर और उप-ब्लॉक नंबर को भरना अनिवार्य है। इसके बाद जिनके स्थायी आवास है। उस मकान सूची के लिए 10 कैटेगरी में सवाल पूछे जाएंगे।
भवन संख्या, मकान संख्या, जिस उद्देश्य के लिए मकान का उपयोग किया जा रहा है, परिवार की संख्या, परिवार के मुखिया का नाम, परिवार में कुल सदस्यों की संख्या, परिवार का क्रम संख्या, यदि वह सदस्य नहीं है तो वह कब से यहां नहीं है, परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर भरा जाएगा। वहीं, बेघर मकान का विवरण भी भरा जाएगा। भाग 4 में मकान सूची का कार्य पूरा होने के बाद फीडबैक रिपोर्ट भरा जाएगा।
वहीं, दूसरे चरण में जाति और आर्थिक दोनों सवाल किया जाएगा। इसमें शिक्षा का स्तर, नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नन-गजटेड आदि) गाड़ी , मोबाइल, किसी काम में दक्षता, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित, मूल जाति, उपजाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी। इस दौरान किसी ने बताने में आना-कानी की तो तो पड़ोसी से उनके बारे में जानकारी ली जाएगी। जाति को लेकर किसी भी तरह से कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
गौरतलब हो कि, जाति आधारित गणना करने को लेकर बिहार में 2 लाख शिक्षकों को इस काम में लगाया गया है। वे अपने - अपने इलाकों में जाकर वहां रह रहे लोगों की जानकारी इकठ्ठा करेंगे और इसको लेकर इनको ट्रेनिंग भी करवाई गई है।