बिहार में पुलिस राज की तैयारी? विधानसभा में पेश किया गया नया कानून, जब जिसे चाहे उसे जेल में डालेगी सरकार

बिहार में पुलिस राज की तैयारी? विधानसभा में पेश किया गया नया कानून, जब जिसे चाहे उसे जेल में डालेगी सरकार

PATNA: बिहार के किसी डीएम को अगर ये लग गया कि आप आसामाजिक तत्व हैं तो फिर आपकी खैर नहीं. डीएम साहब आपको दो साल तक के लिए तड़ीपार कर देंगे. अगर तड़ीपार नहीं हुए तो डीएम साहब आपको एक साल की जेल की सजा सुना देंगे. वहीं, अगर राज्य सरकार को अगर लग गया कि कोई व्यक्ति असामाजिक तत्व है तो उसे एक साल के लिए जेल में डाल दिया जायेगा. नीतीश सरकार ने बिहार में नया कानून बनाया है. बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 को विधानमंडल में पेश कर दिया गया है. विधानमंडल से पास होने के बाद ये अमल में आ जायेगा.


दरअसल इस बार जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बनायी तो उसी समय से भाजपा के नेता बार-बार ये एलान कर रहे थे कि बालू, शराब और जमीन माफियाओं को दफन कर देंगे. भाजपा नेताओं की ओर से ये कहा जा रहा था कि ऐसे माफियाओं की नकेल कसने के लिए नया कानून बनाया जा रहा है. लेकिन बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 में ऐसे प्रावधान रखे गये हैं जिस पर संदेह खड़े हो रहे हैं. 


जिलाधिकारी को 2 साल के लिए तड़ीपार करने का अधिकार

बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 में राज्य के किसी जिले के डीएम को किसी व्यक्ति को दो साल तक के लिए तड़ीपार कर देने का अधिकार दिया गया है. सरकार के नये कानून में कहा गया है कि अगर डीएम को लगता है कि कोई व्यक्ति एक असामाजिक तत्त्व है. उसके जिले में रहने और गतिविधियों से लोगों या सम्पत्ति को भय, खतरा या हानि पहुँच रही है या पहुँच सकती हैं. डीएम को ये लगता है कि उस व्यक्ति को अपनी जगह से हटाये बगैर उसकी गतिविधियां नहीं थमेंगी तो डीएम उसे तड़ीपार करने का आदेश दे सकेगा. उस व्यक्ति से पहले स्पष्टीकरण मांगा जायेगा और फिर कार्रवाई कर दी जायेगी. 


डीएम के पास कोर्ट जैसा पावर

कोई भी डीएम ऐसे व्यक्ति को 6 महीने के लिए तड़ीपार करने का आदेश देगा. इसे 2 साल तक बढाया जा सकेगा. जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ 15 दिनों के भीतर आयुक्त के पास अपील कर सकेगा. अगर किसी ने जिलाधिकारी का आदेश नहीं माना तो उसे जेल भेजने का आदेश होगा. सरकार ने नये कानून में कहा है कि जिलाधिकारी के पास कोर्ट का अधिकार होगा. इस कानून के तहत जिलाधिकारी किसी को अरेस्ट करने का आदेश देगा तो कोई भी पुलिस अधिकारी बगैर वारंट के उसे गिरफ्तार कर लेगा. फिर उसे किसी कार्यपालक दंडाधिकारी के सामने पेश कर जेल भेज दिया जायेगा. 


कौन है असामाजिक तत्व?

सरकार कह रही है कि असामाजिक तत्व के खिलाफ डीएम कार्रवाई करेंगे. लेकिन असामाजिक तत्व किसे माना जायेगा. सरकार ने इसकी भी परिभाषा दी है. जानिये कौन माना जायेगा असामाजिक तत्व

1.    वैसे व्यक्ति जो कोई दंडनीय अपराध करता है, या करने का प्रयास करता है या करने के लिए किसी और को प्रेरित करता है.

2.    अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अधीन महिलाओं और बच्चों की व्यापार से जुड़ा कोई भी अपराध करता है या करने की प्रेरणा देता है. 

3.    बच्चों के साथ यौन अपराध करता है या फिर ऐसे करने के लिए किसी को प्रेरित करता है. 

4.    धर्म, मूलवंश, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर दुश्मनी फैलाता, घृणा पैदा करता है या करने की कोशिश करता है. 

5.     जो स्त्रियों और लड़कियों पर आदतन अश्लील फब्तियों करता हुआ या उन्हें छेड़ता हुआ पाया जाता हो

6.    बिहार पुलिस ने जिसे "गुण्डा" घोषित कर दिया हो

7.     हथियार, गोला बारूद बनाने, बेचने, उसे ले जाने, मरम्मत करने, उसका परीक्षण करने में संलग्न हो या किसी को इसकी प्रेरणा देता हो. ऐसे किसी सिंडिकेट का सदस्य हो. सिंडिकेट का मतलब है तो दो या दो से ज्यादा व्यक्तियों का समूह जो आपराधिक गतिविधि में संलग्न हो. 

8.    बालू के अवैध कारोबार में किसी भी तरह से शामिल हो

9.    शराब के काम में किसी तरह से शामिल हो. इसमें शराब बनाने, बेचने, ट्रांसपोर्ट करने वालों के साथ साथ शराब पीने वाले भी शामिल हैं. 

10.    साइबर क्राइम में किसी भी तरह से शामिल हो

11.     जमीन पर कब्जा करने, अवैध तरीके से बेचने-खरीदने में किसी भी तरह से शामिल हो. 


ऐसे तमाम लोग असामाजिक तत्व माने जायेंगे. जिलाधिकारी को ये पहचान करना है कि जिसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है वह असामाजिक तत्व है या नहीं. अगर डीएम को ये लगता है कि वह असामाजिक तत्व है तो उसे दो साल तक के लिए तड़ीपार कर दिया जा सकता है. 


किसी व्यक्ति को जेल में रखने का प्रावधान

बिहार अपराध नियंत्रण कानून में राज्य सरकार को असामाजिक तत्व घोषित कर दिये गये किसी व्यक्ति को जेल में रखने का अधिकार दिया गया है. सरकार ऐसे व्यक्तियों को 6 महीने के लिए जेल में रख सकेगी. ये अवधि फिर से बढ़ायी जा सकती है. यानि उसे एक साल तक जेल में रखा जा सकेगा. 


नीतीश सरकार के नये कानून में ये कहा गया है कि सरकार को ये आशंका हो कि किसी असामाजिक तत्व को निरूद्ध करना यानि हिरासत में रखना जरूरी है तो वह ऐसे असामाजिक तत्त्व को निरूद्ध करने हेतु आदेश पारित कर सकेगी. राज्य सरकार पहली दफे उस व्यक्ति को 6 महीने तक के लिए हिरासत में रखेगी. उसके बाद भी सरकार को लगे कि असामाजिक तत्व से खतरा बरकरार है तो फिर से 6 महीने के लिए उसे हिरासत में रखने का आदेश दिया जा सकता है. अगर किसी ने सरकार के ऐसे आदेश को नहीं माना तो उसे एक साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है.


सलाहकार बोर्ड के पास अपील

बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 में सरकार ने एक सलाहकार बोर्ड बनाने का प्रावधान रखा है. इसमें हाईकोर्ट की जज जैसी योग्यता वाले तीन लोगों को रखा जायेगा. सरकार ने अगर किसी को हिरासत में रखने का आदेश जारी किया है तो इस सलाहकार बोर्ड में अपील किया जा सकेगा. सलाहकार बोर्ड अगर सलाह देगा कि वह व्यक्ति दोषी नहीं है तो सरकार उसे रिहा कर देगी.


पुलिस को किसी की भी जांच का अधिकार

बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 में प्रावधान किया गया है कि पुलिस के इंस्पेक्टर या उससे उपर के किसी भी अधिकारी को किसी भी स्थान की तलाशी लेने, किसी जहाज, वाहन या जानवर को रोकने और उसकी तलाशी लेने का अधिकार दिया जा सकता है. ऐसे पुलिस अधिकारी को अगर कोई आशंका हुई तो वह किसी भी वस्तु को जप्त कर सकता है. 


किसी कोर्ट में सुनवाई नहीं

बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 में ये प्रावधान किया गया है कि कोई भी दण्डाधिकारी इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध का संज्ञान नहीं लेगा. डीएम और सरकार को जो पावर दिया गया है उसके आदेश पर किसी न्यायालय में आपत्ति नहीं की जाएगी. इस कानून के तहत कार्रवाई करने वाले किसी अधिकारी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं होगा. किसी व्यक्ति के किसी भी तरह के नुकसान की जिम्मेवारी सरकार या अधिकारी की नहीं होगी.