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1st Bihar Published by: Updated Wed, 19 May 2021 04:44:44 PM IST
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PATNA : बिहार में कोरोना के कारण पंचायत चुनाव संकट में है. कोरोना से लड़ाई के बीच लगभग ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधियों का टेंशन बढ़ा हुआ है. अगले महीने 15 जून को मुखिया और सरपंच का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. लेकिन उससे पहले पंचायत प्रतिनिधियों को एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल चेक या ड्राफ्ट से लेनदेन करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों की कुर्सी खतरे में है. ऐसा करने वाले प्रतिनिधि जेल भी जा सकते हैं.
बिहार सरकार में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने एक बड़ा आदेश जारी किया है. मंत्री की ओर से जारी आदेश के मुताबिक 1 अप्रैल 2021 के बाद चेक या ड्राफ्ट से लेनदेन करने वाले त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि नपेंगे. मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि भारत सरकार के दिशा निर्देश के मुताबिक कई बार पत्र भेजकर त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को चेक या ड्राफ्ट से भुगतान ना कर PRMS से भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन इसके बावजूद भी कई पंचायत प्रतिनिधि द्वारा नियमों की अनदेखी किए जाने की बात सामने में आई है.
पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि ऐसा करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों की कुर्सी खतरे में है. 1 अप्रैल 2021 के बाद जो भी पंचायत प्रतिनिधि चेक या ड्राफ़्ट से भुगतान किए होंगे, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश पत्र जारी कर दिया गया है. ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों एक्शन लिया जायेगा और उनके ऊपर बड़ी कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब हो कि बिहार में कोरोना से लड़ाई के बीच लगभग ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अगले महीने 15 जून को मुखिया और सरपंच का कार्यकाल खत्म होने वाला है. ऐसे में सबके सामने ये बड़ा सवाल है कि आखिरकार सरकार आगे क्या करेगी. अगर बिहार में कोरोना के कारण पंचायत चुनाव नहीं हो पाता है तो क्या अफसरों के पास पावर चला जायेगा?
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि बिहार सरकार ने अभी कार्यकाल को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है. जल्द ही हम इस पर फैसला करेंगे. चुनाव की तिथि अभी तय नहीं है. ऐसे में सरकार जनहित को देखकर ही फैसला करेगी.
बिहार में पंचायत चुनाव टलने से अब जो हालात सामने आ चुका है, उसमें वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में पंचायतों को अफसरों के हाथों में सौंप दिया जाए या मुखिया और सरपंच सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगे बढ़ा दिया जाए. इसे लेकर फिलहाल दोमत है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि 15 जून के बाद भी मौजूदा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही पंचायत के कामकाज का संचालन करने दिया जाए. वहीं सत्ताधारी दल इसके ठीक विपरीत राय सामने रख रही है. उनका मानना है कि सरकार इसपर उचित फैसले ले सकती है.