ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Police: सीमावर्ती थानों में कमजोर नेटवर्क चिंता का विषय, चुनाव से पहले इस गंभीर समस्या के समाधान में जुटी बिहार पुलिस Bigg Boss 19: ऐसा क्या कह दिया तान्या मित्तल, फैंस हुए नाराज; खूब हो रहीं ट्रोल BIHAR ELECTION : “बिहार चुनाव 2025: नीतीश कुमार ने राजापुर सीट से संतोष कुमार निराला को घोषित किया उम्मीदवार, NDA में सीट शयेरिंग का नहीं हुआ है फैसला Ganpati Visarjan 2025: गणपति विसर्जन के दौरान भूलकर भी न करें यह काम, प्रेमानंद महाराज ने बताया सही तरीका Ganpati Visarjan 2025: गणपति विसर्जन के दौरान भूलकर भी न करें यह काम, प्रेमानंद महाराज ने बताया सही तरीका Bihar Crime News: बिहार में सनकी पिता की हैवानी, बेटे की चाह में मासूम बेटी को दे दी सजा-ए-मौत Bihar News: इस वर्ष ऑनलाइन गेम्स में ₹5 करोड़ उड़ा चुके बिहार के बच्चे, 25 लाख मानसिक बीमारी से पीड़ित TEJASHWI YADAV : पटना यूनिवर्सिटी में 56 वोकेशनल कोर्स बंद, तेजस्वी यादव ने नीतीश-मोदी सरकार पर साधा निशाना सुशासन को ठेंगा ! परिवहन विभाग का 'दारोगा' बिना इस्तीफा दिए ही शुरू की नेतागिरी, CM और मंत्री शीला कुमारी की तस्वीर लगाकर 'करगहर' में शुरू किया जनसंपर्क, 'नीतीश' के करीबी IAS अफसर को देने लगे चैलेंज Bihar News: इलाज के दौरान नवजात शिशु की मौत पर हंगामा, परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का लगाया आरोप

बिहार में 'नदी चेतना यात्रा' की शुरूआत, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- CM नीतीश नहीं होते तो गंगा तालाब बन जाती

1st Bihar Published by: Updated Fri, 05 Jun 2020 09:03:43 PM IST

बिहार में 'नदी चेतना यात्रा' की शुरूआत, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- CM नीतीश नहीं होते तो गंगा तालाब बन जाती

- फ़ोटो

PATNA : 'पानी रे पानी' अभियान के तहत पर्यावरण दिवस से नदी दिवस तक नदी चेतना यात्रा की शुरूआत की गई। राज्य की नदियों के प्रति इस अभियान के अंतर्गत 5 जून से 27 सितम्बर के बीच यह यात्रा की जाएगी। नदी चेतना यात्रा के पहले चरण के दौरान मिथिलांचल की कमला नदी, शाहाबाद की काव नदी, सीमांचल की सौरा नदी और चम्पारण की धनौती नदी का अध्ययन किया जाएगा। इस दौरान इन नदियों में हो रहे परिवर्तनों को चिन्हित करते हुए यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि नदियों को जिन्दा करने के लिए क्या किया जाना आवश्यक है। इस अभियान से जुड़े सामाजिक संगठन और कार्यकर्तागण ने गंगा दशहरा से लेकर पर्यावरण दिवस तक राज्य के चार नदियों कमला नदी, सौरा नदी, धनौती नदी और काव नदी के तट पर वृक्षारोपण कार्यक्रम और पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिये चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया।


गंगा आंदोलन में सक्रिय रहे सन्यासी और द्वारिका के शंकराचार्य के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के सम्बोधन से इस यात्रा की शुरूआत हुई। इस मौके पर आयोजित आनलाईन संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर अपने सम्बोधन में स्वामी जी ने कहा नदियों आदि प्राकृतिक संसाधनों को लेकर बिहार हमेशा गम्भीर रहा है। उन्होनें गंगा नदी के हालत की चर्चा करते हुए कहा कि यदि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोध नहीं किया होता तो गंगा नदी तालाब में बदल दी गई होती। केंद्रीय योजना के तहत इलाहाबाद से हल्दिया तक जल मार्ग विकसित करने के क्रम में केंद्र की मोदी सरकार ने गंगा जी को 16 छोटे तालाब में बदल दिया होता। गंगा जी के संकट की चर्चा करते उन्होंने कहा कि नदी की धारा को लेकर सरकार के किसी योजना में गम्भीरता नहीं दिखती है, लेकिन नदी के किनारे को चमकाया जा रहा है। उन्होंनें गंगा की अविरलता के मसले पर मुख्यमंत्री जी के गम्भीरता की तारीफ करते हुए कहा यह व्यक्ति देश के एकमात्र राजनेता है, जो गंगा की समस्या को समझकर उसके निदान के लिये हमेशा सक्रिय हैं।


वरिष्ठ पर्यावरणविद पद्मश्री डॉ अनिल जोशी जी ने इस मौके पर कहा कि अभी जो हालात हैं, प्रकृति ने हमें लॉक डाउन में रख दिया है। हवा-पानी अपेक्षाकृत स्वच्छ हुआ है, इस बदलाव के पीछे अन्य जो भी कारण हो लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि मनुष्य भी एक महत्वपूर्ण कारण है। उन्होंने अपनी साईकिल यात्रा के क्रम में बिहार का संस्मरण सुनाते हुये कहा कि बिहार के लोग प्रतिभावान हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। प्रकृति से बिहार के जुड़ाव की चर्चा करते हुये उन्होनें कहा कि जहां बिहार की धरती पर सूर्य देव की अराधना जैसे महान पर्व को मनाया जाना, इसका प्रमाण है। यहां के लोग बहुत ही जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं और अगर अपने प्रकृति को लेकर थोड़े गंभीर हो जाएं तो प्रकृति की रक्षा में अमूल्य योगदान दे सकते हैं। इसके लिये बस हमें अपनी परंपराओं को फिर से अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि अवसर मिला तो मेरी कोशिश होगी कि हिमालय के लोग बिहार से जुड़े और बिहार के लोग हिमालय से जुड़ें, तब पानी रे पानी अभियान जैसे कर्यक्रम को बहुत आगे तक ले जा सकते हैं।


संवाद कार्यक्रम में भोपाल के भूवैज्ञानिक के.जी. व्यास ने कहा कि यह पहला अवसर है जब नदियों की मूल समस्या को जानने का प्रयास हो रहा है। 'पानी रे पानी' अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल भागलपुर जिले की चम्पा नदी के लिये अभियान के क्रम मे बिहार की नदियों को देखने का अवसर मिला था। कैमूर की पहाड़ियों से निकलने वाली काव नदी की यात्रा भी की थी। यात्रा में गंगा की सहायक, इन नदियों के अविरल प्रवाह और बढ़ते प्रदूषण की बेहद दर्दनाक और चिंताजनक तस्वीर देखी थी। उस स्थिति को देखकर प्रश्न उठता है कि नदियों की यह दुर्दशा उस संस्कारित समाज की आंखों के सामने है, जो आदिकाल से नदियों को देवी मानकर कर पूजता रहा है। नदियों की यह दुर्दशा सरकार के लिए भी चुनौती है।


इस अवसर पर इंडिया वाटर पोर्टल संचालक केशर सिंह, वर्ल्ड वाटर काउंसिल के सदस्य डा. जगदीश चौधरी, यमुना नदी बचाओ अभियान की नेता मिनाक्षी अरोड़ा, मोख्तारूल हक ने पर्यावरण संरक्षण में समाज की सक्रियता के महत्व पर अपने विचार रखे। भारत सरकार के उपक्रम गेल इंडिया और नमामी गंगे के सहयोग से आयोजित सम्वाद कार्यक्रम का संचालन पानी रे पानी अभियान के संयोजक एवं सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मालवीय ने किया।