PATNA : बिहार में आर्म्स लाइसेंस लेना ना तो आसान है और ना ही लाइसेंसी हथियार को सरकार के पास जमा कराना. आर्म्स लाइसेंस को लेकर गया जिले से जुड़ा एक मामला आज बिहार विधान परिषद में था. विधान पार्षद केदारनाथ पांडे ने एक ऐसे शख्स की पीड़ा बताई जो अपने पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 साल से हथियार जमा कराने के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहा है.
एमएलसी केदारनाथ पांडे ने जिस शख्स के आर्म्स लाइसेंस से जुड़े मामले का जिक्र किया उसके पिता की मौत 2015 में ही हो चुकी है. नियमों के मुताबिक पिता की मौत के बाद बेटे के नाम पर आर्म्स लाइसेंस स्थानांतरित किया जाना चाहिए या फिर लाइसेंसी हथियार को सरकार के पास जमा लेना चाहिए. इस मामले में साल 2015 से ही गया के पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय में आग्रह किया है, लेकिन डीएसपी गया की तरफ से अनुशंसा किए जाने के जिलाधिकारी कार्यालय ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया.
विधान परिषद में यह मामला उठने के बाद सरकार की तरफ से जवाब देते हुए मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि वह इस मामले पर गया के डीएम और एसएसपी से पूरी रिपोर्ट लेंगे. केदारनाथ पांडे बार-बार सदन में करते रहे कि आसपास कार्यालय होने के बावजूद डीएसपी की तरफ से भेजा गया अनुशंसा पत्र डीएम कार्यालय में 5 साल बाद तक आखिर क्यों नहीं पहुंचा. बिहार में आर्मी लाइसेंस को लेकर सरकारी महकमे का जबरदस्त है. विधान परिषद में यह मामला उठने के बाद अन्य विधान पार्षदों ने भी अफसरशाही के पेंच को कम करने की मांग की.