DESK: गंडक नदी का जलस्तर घटने से बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है। बाढ़ से जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। इस बात की जानकारी आपदा प्रबंधन विभाग ने दी है। विभाग ने बताया कि बिहार के किसी भी जिले में बाढ़ की स्थिति नहीं है। हालांकि अब भी नदी के जलस्तर और तटबंधों पर निगरानी रखी जा रही है। मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान पर लगातार नजर रखी जा रही है। बारिश, आंधी और वज्रपात की चेतावनी मिलते ही तुरंत सभी जिलों को सूचित किया जाता है और आवश्यक कार्रवाई की जाती हैं।
7 मई और 7 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बाढ़ से पूर्व की तैयारियों की समीक्षा की गयी थी। इस दौरान सभी पदाधिकारी एवं संबंधित विभागों को मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रबंधन को लेकर कई आवश्यक निर्देश दिये थे। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा लगातार इसकी समीक्षा की जा रही है और बाढ़ की स्थिति पर निगरानी भी रखी जा रही है।
संभावित बाढ़ के मद्देनजर राहत एवं बचाव कार्य को लेकर कई जिलों में एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की तैनाती की गयी है। एनडीआरएफ की तैनाती सुपौल, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, दरभंगा, किशनगंज, कटिहार और पटना में की गयी है। वही सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, पूर्णियां, भागलपुर, सीतामढ़ी, पश्चिम चम्पारण, शिवहर, मुजफ्फरपुर, छपरा, गोपालगंज, वैशाली और पटना में एसडीआरएफ की तैनाती की गयी है।
16 जून को वाल्मीकिनगर गंडक बराज से 4 लाख 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जिससे नदीं के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण 4 जिलें प. चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज एवं सारण के निचले इलाकों में पानी फैल जाने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी। जिससे 4 जिलों के कुल 15 प्रखंडों के निचले इलाके आंशिक रूप से बाढ़ से प्रभावित हुए। इनमें पश्चिम चंपारण जिले के 2 प्रखंड बगहा-2 और पिपरासी वही पूर्वी चंपारण के 4 प्रखंड अरेराज, संग्रामपुर, केसरिया और सुगौली वही गोपालगंज जिले के 6 प्रखंड गोपालगंज,बैकुंठपुर, बरौली, कुचायकोट, मांझा और सिंघवलिया और सारण जिले के 4 प्रखंड पानापुर, तरैया और मकेर शामिल हैं।
बाढ़ से निपटने के लिए पश्चिम चंपारण जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की एक टीम की तैनाती की गयी। गोपालगंज में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की एक-एक टीम और सारण में एसडीआरएफ की एक टीम को तैनात किया गया। जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित इलाकों से लगभग 8500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इन इलाकों में राहत और बचाव कार्य और आवागमन के लिए कुछ 35 देसी नावों का परिचालन किया जा रहा है। बाढ़ की स्थिति एवं लोगों की जरूरत के अनुसार राहत शिविर एवं सामुदायिक रसोई खोले गये हैं। गोपालगंज में एक सामुदायिक रसोई का संचालन किया जा रहा है। जिसमें 1900 लोगों को भोजन कराया जा रहा है।
पश्चिम और पूर्वी चम्पारण जिले में भी 2 एवं 1 सामुदायिक रसोई का संचालन किया जा रहा था लेकिन जब स्थिति में सुधार हुआ तब इसे बंद कर दिया गया। गोपालगंज के सदर एवं सिधवलिया प्रखंड में 1-1 राहत शिविर का संचालन किया गया। बाढ़ की स्थिति में सुधार होने के बाद जब लोग अपने-अपने घर वापस लौट गये तब वहां चल रहे राहत शिविरों को बंद कर दिया गया। आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि बाढ़ से जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है।