PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से अपने गृह जिला नालंदा जा रहे हैं। नीतीश कुमार बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच एक बार फिर से नालंदा जा रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक जानकार नीतीश के इस यात्रा को लेकर कुछ और ही मतलब निकल रहे हैं। लोगों के तरफ से फिर से यह सवाल उठाना शुरू हो गया है कि, - क्या बिहार में फिर कोई बड़ा खेला होने वाला है।
दरअसल, नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनकी अंतरात्मा नालंदा जिले में ही जागती है। अंतरात्मा की आवाज पर ही वे कभी भाजपा तो कभी आरजेडी का साथ छोड़ते या हाथ पकड़ते हैं। नीतीश कुमार के नालंदा जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं होती रहती है। फिलहाल, बिहार की सियासी फिजां और सोशल मीडिया में अटकलबाजी का दौर शुरू हो गया है। हालांकि, कुछ लोग इसे राजनीति से नहीं जोड़ने की बात कह रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि बिहार में महागठबंधन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में नीतीश का नालंदा जाना एक बहुत बड़ा संकेत बताया जा रहा है।
वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार कभी भी किसी को भी बाय बोल सकते हैं। इस बीच नीतीश ने सक्रियता भी बढ़ा दी है। कभी वे अचानक सचिवालय पहुंच जाते हैं। कभी राजद के मंत्री के दफ्तर में हाजिरी लगा देते हैं तो राह से गुजरते अपनी पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से मिलने प्रदेश ऑफिस पहुंच जाते है। अचानक से दो दिन में दो बार राबड़ी देवी के आवास पर निकल जाते हैं। उनकी बातचीत का अंदाज भी बदल गया है। जब कहीं से कोई चर्चा नहीं थी तो नीतीश ने अपने अधिकारियों को समय पर काम पूरा करने का निर्देश देते हुए कह दिया कि चुनाव कभी भी हो सकते हैं। हालांकि बाद में अमित शाह ने भी यही बात दोहराई कि बिहार में समय से पहले चुनाव हो सकता है।
उधर, दिल्ली में G-20 समिट हुआ। भाग लेने कई देशों राष्ट्राध्यक्ष आए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर भोज दिया। भोज में कांग्रेस के किसी बड़े नेता को नहीं पूछा गया। हां, मुख्यमंत्रियों को जरूर न्योता भेजा गया। विपक्षी मुख्यमंत्रियों में जिन तीन लोगों ने भोज में शिरकत की, उनमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू के नाम उल्लेखनीय रहे। नीतीश कुमार को लेकर लोगों को अचरज भी हुआ, क्योंकि लंबे समय से वे लगातार पीएम नरेंद्र मोदी के साथ किसी कार्यक्रम में शिरकत करने से कतराते रहे थे। मोदी हटाओ मुहिम में भी नीतीश बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा का बाजार गर्म हो गया कि नीतीश पांचवीं बार पाला बदलने की तैयारी में हैं।