PATNA : कोरोना काल में आयी नई आफत ब्लैक फंगस को आखिरकार बिहार में भी महामारी घोषित कर दिया गया है. ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किये जाने के बाद अब इसका इलाज भी पेंडेमिक की तहत किया जाएगा. सरकारी हॉस्पिटल को भारत सरकार के गाइडलाइन के अनुसार इस बीमारी का इलाज करने का आदेश दिया गया है.
संक्रमण की बीमारी ब्लैक फंगस को राज्य सरकार ने महामारी बीमारी घोषित कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है. महामारी घोषित हो जाने के बाद सभी सरकारी हॉस्पिटल को भारत सरकार के गाइडलाइन के अनुसार ब्लैक फंगस का इलाज करने का निर्देश दिया गया है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर ब्लैक फंगस को ऐपिडमिक डिजिज एक्ट के तहत अधिसूचित किया गया है. पांडेय ने कहा कि इसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई निर्देश जारी किये गये हैं. इस एक्ट के तहत सभी निजी एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा म्यूकोरमायकोसिस के सभी संदिग्ध और प्रमाणित मरीजों के मामले को जिला के सिविल सर्जन के माध्यम ये एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग को प्रतिवेदित किया जायेगा.
मंगल पांडेय ने कहा कि सभी निजी एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा म्यूकोरमायकोसिस से संबंधित जांच, ईलाज एवं प्रबंधन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख इस रोग के संबंध में समय-समय पर जांच, ईलाज एवं प्रबंधन को लेकर यथोचित आदेश निर्गत कर सकेंगे. अगर कोई भी संस्थान उक्त प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो ऐपिडमिक डिजिज एक्ट की धारा-3 के तहत दंडनीय होगा. साथ ही धारा-4 के प्रावधानों के अनुरूप कोई वाद या विधिक कार्रवाई संस्थित नहीं की जा सकेगी. अधिसूचना निर्गत होने की तारीख से एक वर्ष तक प्रभावी रहेगा. इस बीमारी के ईलाज हेतु आवश्यक दवा एंफोटेरिसिन के 6 हजार वायल पूर्व में ही विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पतालों एवं विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों हेतु राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा चुका है, जो मरीजों को मुफ्त में मिलेगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस को लेकर राज्य सरकार गंभीर है और इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. ऐसे मरीजों के बेहतर उपचार के लिए केंद्र सरकार द्वारा भी लगातार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य उपकरणों की अधिप्राप्ति की जा रही है. शुक्रवार को भी देर रात भारत सरकार द्वारा भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से 92 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 21 हजार 600 वीटीएम (वायरस ट्रांसपोर्ट मिडियम) पटना पहुंचा, जिसे राज्य के विभिन्न जिलों में भेजे जाने की प्रक्रिया जारी है.
आपको बता दें कि राज्य में ब्लैक फंगस के मामलों में तेजी के साथ इजाफा हो रहा है. राज्य में ब्लैक फंगस के 39 नए मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से शनिवार को बिहार में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है. प्रदेश में पिछले कुछ घंटे के अंदर ब्लैक फंगस के नए केस सामने आने के बाद राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है. ब्लैक फंगस के 39 नए केस शुक्रवार को सामने आए थे. इनमें से 8 मरीजों को भर्ती कराना पड़ा है. 39 मामलों में से 32 पटना के तीन अस्पतालों में और 7 मामले छपरा शहर के एक निजी अस्पताल में पहुंचे हैं। राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के लक्षण वाले 174 मरीजों की पहचान की जा चुकी है. शुक्रवार को पटना एम्स में कुल 30 मरीज ऐसे पहुंचे जिनमें ब्लैक फंगस के लक्षण थे. इनमें से 7 को पटना एम्स में भर्ती कर लिया गया जबकि बाकी को दवा देकर वापस भेज दिया गया.
आईजीआईएमएस में भी एक मरीज शुक्रवार को एडमिट किया गया था जबकि बाकी मरीजों को दवा देकर घर भेज दिया गया है. पटना के पारस हॉस्पिटल में एक मरीज लक्ष्मण के साथ पहुंचा था जिसे दवा देकर घर वापस भेज दिया गया है. पटना के आईजीआईएमएस को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए सरकार ने अलर्ट मोड में रखा हुआ है. पटना एम्स में ब्लैक फंगस के भर्ती मरीजों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है हालांकि अच्छी खबर यह है कि 3 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर वापस लौट चुके हैं. पटना के आईजीआईएमएस में कुल 39 मरीजों का इलाज हुआ है, जिनमें 12 डिस्चार्ज होकर घर वापस लौट चुके हैं. सबसे ज्यादा केस पटना के अलावे छपरा शहर में सामने आए हैं. केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस को पहले ही महामारी घोषित कर रखा है.