1st Bihar Published by: Updated Sun, 14 Nov 2021 06:54:15 AM IST
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PATNA : बिहार में बालू खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बावजूद अभी इस की किल्लत दूर होने में वक्त लगेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार राज्य में बालू को सुलभ बनाने के लिए सक्रिय तो हो गई है। लेकिन इसे पटरी पर लाने में तकरीबन डेढ़ महीने का वक्त लग सकता है। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो अगले साल जनवरी महीने से ही बिहार में बालू को लेकर हालात सामान्य हो पाएंगे।
नीतीश सरकार ने पटना, भोजपुर, सारण, रोहतास, औरंगाबाद, गया, जमुई और लखीसराय जिलों में बालू घाटों के सर्वेक्षण के आदेश दिए हैं। यह सर्वे जिलाधिकारी, जिला खनन पदाधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की देख-रेख में होगा। इस सर्वे के बाद हर जिले में बालू घाटों का माइनिंग प्लान सरकार करेगी। इसी प्लान के आधार पर बंदोबस्ती होगी। राज्य के 8 जिलों में बालू घाटों की सर्वे प्रक्रिया में लगभग डेढ़ महीने वक़्त लगेगा।
सरकार की तरफ से तैयार रिपोर्ट पर जनता से आपत्ति भी मांगी जा सकती है। आपत्तियों के निपटारे के बाद बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू होगी। नई बंदोबस्ती टेंडर के आधार पर होगी। उसके बाद खनन की प्रक्रिया शुरू होगी। अभी प्रदेश के बाकी 8 जिलों में बालू खनन की प्रक्रिया चल रही है। ये जिले अरवल बांका, बेतिया, मधेपुरा, नवादा, किशनगंज, वैशाली और बक्सर हैं। इन जिलों के नदी घाटों पर पहले की बंदोबस्ती के आधार पर खनन कार्य चल रहा है। बिहार में बंदोबस्ती की प्रक्रिया हर जिले में नहीं होने के कारण से फिलहाल बालू की कमी है।