PATNA : राज्य में 900 से अधिक पूर्व विधायकों और 140 विधान परिषद के पूर्व सदस्यों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है. इसके मद्देनजर बिहार सरकार ने पूर्व विधायकों की पेंशन के लिए 63 करोड़ 65 लाख और विधान परिषद के पूर्व सदस्यों की पेंशन के लिए 11 करोड़ का प्रावधान किया है. वहीं, विधानसभा के पूर्व सदस्यों के चिकित्सा खर्च को शामिल कर दिया जाये, तो इस पर 2.5 करोड़ और विधान परिषद के पूर्व सदस्यों के चिकित्सा खर्च पर एक करोड़ का प्रावधान किया गया है.
जानकारी के मुताबिक, विधानसभा या विधान परिषद का पूर्व सदस्य होने के बाद भी उनको जीवनयापन के लिए पेंशन के रूप में अच्छी रकम दी जाती है. बिहार विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होने के बाद इन सदस्यों को वेतन-भत्ते और दूसरी सुविधाओं के नाम पर 1 लाख 35 हजार मिलता है. भूतपूर्व होने के बाद उन्हें पेंशन और कई सुविधाएं आजीवन मिलती हैं. निधन होने के बाद उनके परिजन को भी आजीवन पारिवारिक पेंशन मिलती है.
बिहार में यह भी प्रावधान है कि कोई राजनेता एक बार विधायक बनता है और उसके बाद फिर सांसद बन जाता है, तो उसे विधायक की पेंशन के साथ-साथ लोकसभा सांसद का वेतन और भत्ता मिलता है. इसके बाद अगर वह किसी सदन का सदस्य नहीं रह जाता है, तो उसे विधायक के पेंशन के साथ-साथ सांसद का पेंशन भी मिलता है. बता दें कि विधानसभा के पूर्व सदस्यों में सदानंद सिंह और रमई राम सबसे अधिक पेंशन पाने वाले नेता थे. अब इन दोनों का निधन हो चुका है.