PATNA : इस वक्त एक बड़ी खबर पटना से सामने आ रही है. बिहार में 1200 से अधिक असिस्टेंट इंजीनियर्स की बहाली का रास्ता साफ़ हो गया है. पटना हाई कोर्ट ने बीपीएससी की अपील स्वीकार कर ली है. हाई कोर्ट की खण्डपीठ में बीपीएससी की अपील अब मंजूर हो गई है.
पटना हाई कोर्ट के दो जजों की खण्डपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले से बिहार लोक सेवा आयोग को राहत देते हुए यह तय किया कि सूबे में सहायक अभियंताओं की भर्ती हेतु ली गयी पीटी परीक्षा के मॉडल एन्सर और रिज़ल्ट का फिर से मूल्यांकन करने के लिए नए एक्सपर्ट कमिटी बैठाने की ज़रूरत नहीं है. न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खण्डपीठ ने बीपीएसी की तरफ से दायर अपीलों को मंज़ूर करते हुए मंगलवार को उक्त फैसला सुनाया.
आपको बताए दें कि 2017 में प्रकाशित, 1284 सहायक (सिविल ) अभियंता की रिक्तियों पर नियुक्ति के लिए आयोग ने 15 साइबर 2018 को पीटी परीक्षा एवम 27 मार्च 2019 से शुरू हुई मेंस परीक्षा को लिया था. लेकिन मेंस से ठीक पहले 26 मार्च 2019 को न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की एकलपीठ के आयोग को आदेश दिया था की जिन चार प्रश्नों के मॉडल एसरों को अभ्यार्थी -याचिकाकर्ता लो, इंजीनियरिंग कॉलेजों की ऑथोरिटी किताबों के रेफरेंस पर, गलत होने का दावा किये हैं. उनकी जांच एक अलग एक्पर्ट कमिटी से करवाई जाए. अगर जाँच में वाकई मॉडल उत्तर गलत पाया गया तब 2-4 अंकों से मेंस परीक्षा देने से चूक रहे याचिकाकर्ताओं का मेंस आयोग अपने खर्चे पर अलग से संचालन करेगी.
इस मामले में एकलपीठ ने माना था कि न्यायहित में पूरी मेंस परीक्षा को रोकना अनुचित है लेकिन अलग एक्पर्ट कमिटी बैठाने के लिए इसलोये निर्देश दिया. क्योंकि मॉडल उत्तर जांचने वाले और पिटी के प्रश्न को निर्धारण करने वाली एक्सपर्ट कमिटी एक ही थी. उक्त कमिटी ने खुद पीटी परीक्षा में 15 मॉडल उत्तरों को गलत पाया था.
बीपीएससी ने एकलपीठ के उसी फैसले को अपील में चुनौती दिया था. आयोग की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही, महाधिवक्ता ललित किशोर एवम एडवोकेट संजय पांडे ने बहस किया था.खण्डपीठ ने आयोग के इस दलील को माना कि अलग एक्पर्ट कमिटी की ज़रूरत इसलोये नही क्योंकि खुद एक्ज़ामिनिग बॉडी में आईआईटी और एनआईटी के अनुभवी प्रोफेसर रहते हैं.