बिहार में 10 लाख का वादा कर 30 हजार को दिया गया नौकरी, सरकार पर हमलावर बीजेपी.. श्रेय लूटने में लगे नीतीश-तेजस्वी

बिहार में 10 लाख का वादा कर 30 हजार को दिया गया नौकरी, सरकार पर हमलावर बीजेपी.. श्रेय लूटने में लगे नीतीश-तेजस्वी

PATNA: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने महागठबंधन की सरकार पर जोरदार हमला बोला है। कहा है कि नीतीश और तेजस्वी ने बिहार की जनता से 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था लेकिन निभाया नहीं। 10 लाख की जगह महज 30 हजार लोगों को नौकरी दी गयी। अब दोनों नेताओं के बीच श्रेय लूटने की होड़ मची हुई है। 


सुशील मोदी ने कहा कि पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह हुआ लेकिन कही भी तेजस्वी यादव की फोटो लगी नहीं दिखी। उन्होंने कहा कि 44 विधायकों वाला जेडीयू केवल मुख्यमंत्री को नौकरीदाता बता रहा है जबकि तेजस्वी की चर्चा नहीं हो रही है। सुशील मोदी ने कहा कि 37 हजार लोगों को दोबारा नियुक्ति पत्र दिया गया है। 


पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में सरकारी नौकरी का ठिकाना नहीं, जबकि मात्र 30 हजार बिहारी युवाओं को शिक्षक पद की नई नौकरी देकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में श्रेय लूटने की होड़ मची है। दोनों दलों के मंत्री-विधायक अपने-अपने नेता को महान नौकरी-दाता बता रहे हैं।


उन्होंने कहा शिक्षक नियुक्ति की सारी गड़बड़ियों पर पर्दा डालने लिए मेगा इवेंट आयोजित किया गया, लेकिन वहाँ 80 विधायकों की पार्टी के नेता की फोटो नहीं लगायी गई, ताकि सारा श्रेय 44 विधायकों के नेता नीतीश कुमार को मिले। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि 30 हजार से ज्यादा बिहारी युवाओं को शिक्षक पद की नई नौकरी नहीं मिली। अन्य राज्यों के लगभग 40 हजार युवा बिहार में शिक्षक बन गए। 37,500 वो नियोजित शिक्षक हैं, जो पहले से सरकारी सेवा में हैं। उन्हें दोबारा नियुक्ति पत्र दिया गया।


सुशील मोदी ने कहा कि शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए 9 से 12 कक्षा के लिए आवेदन ही अपेक्षा से 40 हजार कम आये। फिर मात्र 1.22 लाख अभ्यर्थियों के पास होने से 48 हजार पद खाली रह गए। 10 हजार उत्तीर्ण लोगों ने बिहार सरकार की नौकरी स्वीकार नहीं कर खाली रह जाने वाले पदों की संख्या 60हजार के करीब पहुँचा दी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक के बाद 10 लाख सरकारी नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का वादा किया था, जबकि 14 महीने में वे सिर्फ 30 हजार लोगों को शिक्षक की नौकरी दे पाए।