बिहार: जिंदा महिला डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग ने कागज पर मारा, वेतन और बीमा हड़पने की साजिश, DM हैरान

बिहार: जिंदा महिला डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग ने कागज पर मारा, वेतन और बीमा हड़पने की साजिश, DM हैरान

MOTIHARI : बिहार के पूर्वी चंपारण जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. दरअसल एक जिंदा महिला डॉक्टर को कागज पर मारकर उसका वेतन, बीमा और अन्य राशि हड़पने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ है. लेडी डॉक्टर ने खुद डीएम और सीएस को मैसेज कर जिंदा होने का सबूत पेश किया है. मामला प्रकाश में आने के बाद जिलाधिकारी भी हैरान हो गए हैं.


दरअसल छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला बाजार में पदस्थापित लेडी डॉक्टर अमृता जायसवाल को कागज पर मृत साबित कर उनका वेतन, बीमा और अन्य राशि हड़पने की कोशिश की गई है. लेकिन इस मामले का अब खुलासा हो गया है. पूर्वी चंपारण जिले के डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने तीन सदस्यीय टीम का गठन कर जांच का आदेश दे दिया है. 


बताया जा रहा रहा है कि डॉक्टर अमृता जायसवाल ने साल 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी कि वीआरएस ले लिया था. तब ये छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला बाजार में ही पोस्टेड थीं. वीआरएस लेकर ये ओमान चली गई थीं. मगर उन्हें एलआईसी और जीपीएफ का लाभ नहीं मिला था. 


डॉक्टर अमृता जायसवाल की गैरमौजूदगी में स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से उन्हें मृतक घोषित कर उनके पैसे हड़पने की कोशिश की गई. एक साजिश के तहत लेडी डॉक्टर अमृता जायसवाल के सेवांत लाभ की फाइल पर धोखे से सिविल सर्जन के स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर करवा कर उनके पैसे लेने का प्रयत्न किया गया, जिससे पर्दा उठ गया है. 



मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. जायसवाल ने अविभाजित बिहार के स्वास्थ्य विभाग में 13 नवंबर 1990 को योगदान दिया था. उनकी पहली पोस्टिंग हजारीबाग में हुई थी. इसके बाद कई जगहों पर उनकी पोस्टिंग हुई. 2002 को उन्होंने पूर्वी चंपारण के स्वास्थ्य विभाग में अपना योगदान दिया और 2003 में छौड़ादानो प्रखंड के एपीएचसी बेला बाजार में प्रभारी चिकित्सा प्रभारी के रूप में पदस्थापित हुई थीं. बेला एपीएचसी में पदस्थापन के दौरान उन्होंने वीआरएस लगाई जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया था.