बिहार के DGP का बड़ा आदेश, 7 साल से कम सजा वाले मामले में अब डायरेक्ट गिरफ़्तारी नहीं होगी

बिहार के DGP का बड़ा आदेश, 7 साल से कम सजा वाले मामले में अब डायरेक्ट गिरफ़्तारी नहीं होगी

PATNA : बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने एक बड़ा आदेश दिया है. पुलिस माहानिदेशक की ओर से सभी जिलों के एसपी, एसएसपी, डीआई और आईजी को एक पत्र लिखा गया है. डीजीपी ने इस पत्र में कहा है कि साधारण जुर्म या वैसे मामले जिसमें अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है, उसमें पुलिस अब सीधे किसी को गिरफ्तारी नहीं करेगी.


डीजीपी ने अपने पत्र में ये भी जिक्र किया है कि इस आदेश को नहीं मानने वाले पुलिसवालों के ऊपर कार्रवाई भी की जाएगी. राज्य पुलिस के मुखिया ने अधिकारियों को यह आदेश दिया है कि घरेलू हिंसा या 7 साल से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तारी के बजाए पहले सीआरपीसी की धारा 41 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के विषय में पुलिस अधिकारी को संतुष्ट होना होगा. इसके साथ ही कोर्ट के सामने गिरफ्तार आरोपित की पेशी के समय गिरफ्तारी का कारण और सामग्री समर्पित करना होगा.


आदेश पत्र में लिखा गया है कि राज्य के सभी सभी पुलिस अधिकारी धारा 41 के प्रावधानों के अनुपालन में चेक लिस्ट प्रयोग करते हुए संतुष्ट होकर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करेंगे. डीजीपी के आदेश के मुताबिक नियमों के तहत अगर पुलिस किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी को अगर जरूरी नहीं समझती है तो इसकी जानकारी संबंधित अदालत को देनी होगी. इसके लिए एफआईआर दर्ज होने की तारीख से दो सप्ताह के अंदर कोर्ट को जानकारी देने की समय सीमा निर्धारित की गई है.


एफआईआर दर्ज होने के दो सप्ताह के अंदर सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत उपस्थिति के लिए नोटिस को तामीला कराना है. हालांकि एसपी द्वारा कारण अंकित करते हुए दो सप्ताह की समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है. धारा 41 (1) (ए) के अनुसार यदि किसी पुलिस पदाधिकारी के सामने अगर कोई संग्येय अपराध करता है तो बिना वारंट के तत्काल उसकी गिरफ्तारी होगी. भले ही ऐसे अपराध की सजा कितनी ही कम क्यों न हो.