दारू का नाम सुनते ही भड़के नीतीश, बोले- कांग्रेस सदस्यता पर्ची पर लिख ले 'मेंबर बनोगे तो दारू पियो और पिलाओ'

दारू का नाम सुनते ही भड़के नीतीश, बोले- कांग्रेस सदस्यता पर्ची पर लिख ले 'मेंबर बनोगे तो दारू पियो और पिलाओ'

PATNA : कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा की बिहार में शराबबंदी कानून को निरस्त करने की सलाह पर सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने करारा जवाब दिया. दरअसल भागलपुर से विधायक अजीत शर्मा ने सीएम को पत्र लिखकर राज्य में शराबबंदी कानून की समीक्षा करने की बात कही, जिसपर मंगलवार को मुख्यमंत्री ने करारा जवाब देते हुए कहा कि 'कांग्रेस को अपनी पार्टी की प्राथमिक सदस्या की पर्ची पर ये लिख लेना चाहिए कि कांग्रेस का मेंबर बनोगे तो दारू पियो और पिलाओ.'


कांग्रेस पार्टी के विधायकों की ओर से सदन में इशारा करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि "कांग्रेस के लोग सदन से भाग गए, हम क्या बोले. ये बोल रहे हैं कि शराब की दूकान खुलवा दीजिये. कांग्रेस के लोग भूल गए हैं कि इस सदन ने सर्वसम्मति से 2016 में पारित किया और शराब बंदी कानून बना. 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी कानून को राज्य में लागू किया गया. हर किसी ने शराब नहीं पीने का वचन दिया और आज कांग्रेस के लोग इसके विरोध में बोल रहे हैं."


नीतीश कुमार ने कहा कि "कांग्रेस के नेता कह रहे थे कि शराब की दूकान खुलवा दीजिये. यानि कि बापू के विचार के ये लोग खिलाफ बोल रहे हैं. कांग्रेस का जो मेंबरशिप बनता है. उसमें मेंबर बनने वाले का हस्ताक्षर होता है. उसमें लिखा रहता है कि 'मैं अपने को मादक पेय एवं नशीले पदार्थों से दूर रखता हूं.' कांग्रेसी वचन देते हैं कि वे दारू से दूर रहते हैं लेकिन बिहार में शराब की दूकान खुलवा कर वे दारू के नजदीक जाना चाहते हैं."


नीतीश ने कांग्रेसियों से पूछा कि "आप कांग्रेस के कैसे मेंबर हैं, जो दारु की दूकान खुलवाना चाहते हैं. अब ये कांग्रेस पार्टी ही जानें. कांग्रेस अपने सदस्यता पर्ची पर ये लिख दे कि 'कांग्रेस का मेंबर बनोगे तो दारू पियो. पियो और पिलाओ.' नीतीश ने कहा कि सरकार ने बिहार के लोगों के हित में ये निर्णय लिया है."


गौरतलब हो कि कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा लगातार राज्य में शराबबंदी कानून को विफल बता रहे हैं. दिसंबर महीने में उन्होंने सीएम नीतीश को पत्र लिखकर मांग की थी कि इस कानून की समीक्षा होनी चाहिए. अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि शराबबंदी कानून अवैध धन अर्जन करने का एक साधन बन गया है. राज्य में अब शराब दुकानों से निकल कर लोगों के घर घर तक पंहुच गयी है. शराबबंदी कानून होने के बावजूद शराब की होम डिलीवरी हो रही है.


उन्होंने कहा, 'बिहार में 2016 से शराब बंदी कानून लागू है, उस वक्त कांग्रेस पार्टी भी आपके साथ थी, तब पार्टी ने अच्छा काम समझकर आपका भरपूर समर्थन किया था. लेकिन साढ़े 4 वर्षों में देखने में आया कि शराबबंदी सिर्फ कहने को हकीकत में बिहार में लागू ही नहीं है'. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि शराब के अवैध धंधे में न सिर्फ शराब माफिया बल्कि पुलिस-प्रशासन नौकरशाह और कुछ राजनीतिज्ञ भी सम्मिलित हैं.


कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने पत्र में लिखा है कि जिस आशा के साथ शराब बंदी लागू की गई थी वह सफल होते हुए नहीं दिख रही है. अब शराब के होम डिलीवरी धंधे में कम उम्र के लड़के- लड़कियां भी पढ़ाई छोड़कर लग गए हैं. इस कानून से गरीब परिवार आर्थिक बोझ तले दब गया है क्योंकि अब 2 से 3 गुना अधिक कीमत पर शराब खरीद कर लोग पी रहे हैं. साथ ही लाइसेंसी दुकानों में शराब नहीं बिकने के कारण नकली- जहरीली शराब की होम डिलीवरी की संभावना बढ़ गई है.