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1st Bihar Published by: Updated Tue, 02 Nov 2021 02:47:39 PM IST
                    
                    
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PATNA: बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी भक्तचरण दास को जब लालू यादव ने भकचोंधर कहा था तो सियासी तूफान मच गया था। लेकिन अब चुनाव परिणाम ने बता दिया है कि भक्तचरण दास वाकई भकचोंधर यानि बेवकूफ साबित हुए। दिलचस्प बात ये भी है कि जिस कन्हैया के बूते कांग्रेस बिहार में जलजला लाने के दावे कर रही थी। वह हवा हवाई साबित हो गया। उपचुनाव में कांग्रेस की ऐसी दुर्गति हुई है जैसा पहले कभी नहीं हुई थी। नतीजा ये होगा कि आने वाले दिनों में राजद कांग्रेस की परवाह किये बगैर सियासी फैसले लेगी।
कांग्रेस की मिट्टी पलीद
बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव का मतगणना आज संपन्न हो गया। दोनों सीटों पर कांग्रेस की ऐसी मिट्टी पलीद हुई है जैसा शायद ही पहले कभी हुई थी। कांग्रेस की सबसे ज्यादा दुर्गित कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में हुई है। ये वो सीट है जहां कई दफे कांग्रेस के विधायक चुने जा चुके हैं। इसी सीट पर दावेदारी के लिए कांग्रेस ने राजद से नाता तोड़ने का फैसला ले लिया था। कांग्रेस ने इस सीट से कई दफे विधायक रह चुके अशोक कुमार के बेटे अतिरेक कुमार को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था।
कुशेश्वरस्थान में चौथे नंबर पर रही कांग्रेस
उपचुनाव में अतिरेक कुमार के प्रचार के लिए कांग्रेस ने सारी ताकत झोंक दी थी। पार्टी के स्टार प्रचारक कन्हैया कुमार से लेकर प्रदेश के तमाम छोटे बड़े नेता वहां कैंप कर रहे थे। प्रदेश के प्रभारी भक्तचरण दास खुद कमान संभाल रहे थे। लेकिन चुनाव परिणाम ऐसा आया है कि कांग्रेस मुंह दिखाने लायक नहीं बची है। पार्टी के उम्मीदवार अतिरेक कुमार को 6 हजार वोट भी नहीं आया। अतिरेक को 5602 वोट मिले। जेडीयू और राजद को टक्कर देने की बात कौन कहे, अतिरेक कुमार लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार अंजू देवी से भी पिछड़ गये।
तारापुर में और बदतर स्थिति
कांग्रेस की कुशेश्वरस्थान से भी ज्यादा बदतर स्थिति तारापुर विधानसभा क्षेत्र में रही। हालांकि तारापुर में मतगणना बेहद धीमे रफ्तार से चल रहा है लेकिन जो ताजा हालात हैं उसमें कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश कुमार मिश्रा को दो हजार से ज्यादा वोट नहीं मिलने की संभावना नजर आ रही है। हम आपको बता दें कि कांग्रेस ने राजेश मिश्रा पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए थे और उन्हें तकरीबन साढ़े 10 हजार वोट मिले थे। इस दफे वे कांग्रेस के उम्मीदवार बन कर खड़े हुए तो 2 हजार वोट पर भी लाले पड़ गये। तारापुर में भी कांग्रेस उम्मीदवार लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार कुमार चंदन से भी पिछड़ गये।
कहां गया कन्हैया का जलजला
बिहार में विधानसभा उप चुनाव से ठीक पहले कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल कराया था। कन्हैया कुमार गुजरात के नेता हार्दिक पटेल के साथ उप चुनाव में प्रचार करने भी आये थे। कांग्रेसी नेता दावा कर रहे थे कि कन्हैया के आने के बाद उनकी नैया पार लग जायेगी लेकिन कन्हैया ने नैया ही डूबो दी। कन्हैया के प्रचार का इफेक्ट ये हुआ कि कांग्रेस की ऐतिहासिक दुर्गति हो गयी।
भक्तचरण दास ने करायी फजीहत?
कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार पार्टी के प्रदेश प्रभारी भक्तचरण दास हैं। राजद से तालमेल तोड़ने में सबसे बड़ी भूमिका भक्तचरण दास की ही रही। उसके बाद वे लालू यादव औऱ उनकी पार्टी के खिलाफ ऐसे बयानबाजी कर रहे थे जैसे बीजेपी औऱ जेडीयू के नेता कर रहे थे। भक्तचरण दास राजद को बीजेपी का एजेंट करार दे रहे थे। इसके बाद नाराज लालू यादव ने उन्हें भकचोंधर बता दिया था। इस पर भी खूब सियासत हुई। कांग्रेसी नेताओं ने लालू पर दलितों का अपमान करने का आरोप लगा दिया। हद तो तब हुई जब लालू यादव ने ये बताया कि सोनिया गांधी ने उन्हें कॉल किया था। भक्तचरण दास ने लालू यादव को झूठा करार देते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने उनसे बात ही नहीं की है।
क्या होगा आगे
विधानसभा उप चुनाव की दो सीटें आने वाले दिनों में बिहार की सियासत की दिशा औऱ दशा तय करेंगी. दरअसल पिछले कई चुनावों में कांग्रेस ने राजद पर दबाव बनाकर गठबंधन में अपने मनमाफिक सीट लिये थे. 2019 का लोकसभा चुनाव हो या 2020 का विधानसभा चुनाव, कांग्रेस ने एक तरह से राजद को ब्लैकमेल कर अपने मुताबिक सीट लिये. लेकिन अब आने वाले दिनों में कांग्रेस की स्थिति ऐसी नहीं होगी. अब तक कांग्रेस से तालमेल तोड़ने से डर रहे राजद का डर खत्म होगा. राजद ने देख लिया कि कांग्रेस के अलग होने से भी उसके आधार वोटों में कोई बड़ी सेंधमारी नहीं होने वाली है.
राजद को डर मुसलमान वोटरों को लेकर लगता रहा है. उसे लगता रहा है कि अगर कांग्रेस अलग लड़ी तो मुसलमान वोटरों में नाराजगी होगी. लेकिन उपचुनाव से साफ हुआ कि कांग्रेस को मुसलमानों ने वोट नहीं दिया. इसका नतीजा ये होगा कि अब आने वाले चुनाव में राजद कांग्रेस के दबाव में आये बगैर सीटों का बंटवारा करेगी. इसका नुकसान कांग्रेस को ही भुगतान पड़ेगा।