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भारतीय स्टार्टअप में है चीनी कंपनियों का बड़ा निवेश, क्या इन पर भी लगेगी रोक ?

1st Bihar Published by: Updated Tue, 30 Jun 2020 01:27:10 PM IST

भारतीय स्टार्टअप में है चीनी कंपनियों का बड़ा निवेश, क्या इन पर भी लगेगी रोक ?

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DESK : चीन से बढ़ते तना-तनी के बीच केंद्र सरकार ने कल एक बडा फैसला लेते हुए तत्काल प्रभाव से 59 चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन ऐप्स की सूची में टिक टॉक और यूसी ब्राउजर समेत कई लोकप्रिय ऐप्स भी शामिल हैं. इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगने से कुछ लोग खुश हैं वही कुछ का कहना है कि  इस तरह के प्रतिबंध से कोई फरक पड़ने वाला नहीं है. पर क्या आप जानते हैं भारतीय स्टार्टअप में चीनी कंपनियों का बड़ा निवेश है. डेटा और एनालिटिक्स फर्म Global Data के आंकड़ों के अनुसार बीते चार सालों में भारतीय स्टार्टअप में चीन की तरफ से इन्वेस्टमेंट में 12 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले वर्ष चीन की कंपनियों का निवेश बढ़कर 4.6 बिलियन डॉलर हो गया था.


सरकार द्वारा 59 चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है पर उन कंपनियों के बारे में सरकार ने अपनी स्थिति अस्पष्ट नहीं की है जिन में चीन की तरफ से बड़ा निवेश किया गया है. चीनी निवेश वाले इन कंपनियों की भारत में बहुत पकड़ है. इन कंपनियों की लिस्ट में स्नैपडील, स्विगी, उड़ान, जोमैटो, बिग बास्केट, बायजू, डेलहीवेरी, फ्लिपकार्ट, हाइक, मेकमायट्रिप, ओला, ओयो, पेटीएम, पेटीएम मॉल, पालिसी बाजार जैसे प्रमुख कंपनी शामिल है.


ग्लोबलडाटा के मुताबिक 24 भारतीय स्टार्टअप्स में  से 17 स्टार्टअप में चीन की अलीबाबा और टेंसेंट जैसी कम्पनियों ने कॉरपोरेट निवेश कर रखा है. अलीबाबा और उसकी सहयोगी कंपनी ने पेटीएम, स्नैपडील, बिगबास्केट और जोमैटो में 2.6 बिलियन डॉलर का निवेश है. वहीं, टेंसेंट ने ओला, स्विगी, हाइक, ड्रीम 11 और बायजू में 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश कर रखा है.


ग्लोबलडाटा के प्रमुख प्रौद्योगिकी विश्लेषक, किरण राज के अनुसार पहले भारत-चीन के  सम्बन्ध अच्छे थे इस वजह से चीन ने भारतीय बाजार में कम समय में  स्टार्ट-अप में काफी निवेश किया था. एक अनुमान के मुताबिक, एक अरब डालर से अधिक मूल्य वाली 30 में से 18 स्टार्टअप्स कंपनियों में चीन की प्रमुख हिस्सेदारी है. पर हाल में  भारत-चीन सीमा तनाव के चलते भारत में एफडीआई (FDI) के नियमों को और कड़ा करने वाली है इस वजह से भारतीय बाजार में निवेश में अब इन कंपनियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.