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BHAGALPUR: मंजूषा कला के भीष्म पितामह कहे जाने वाले हिन्दी व अंगिका के बहूचर्चित कथाकार व साहित्यकार ज्योतिष चंद्र शर्मा का निधन हो गया। वे अंगजनपद के मंजूषा कला के भीष्म पितामह भी माने जाते थे। शुक्रवार को बरारी शमशान घाट पर उनका दाह-संस्कार किया गया। उनके एकमात्र पुत्र अतिशचंद्र शर्मा द्वारा उन्हें मुखाग्नी दी गई। परिजनों ने बताया कि ज्योतिषचंद्र शर्मा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी। 10 दिन पहले नाथनगर रेफरल अस्पताल में उन्होंने कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लिया था। इसके बाद से वे बीमार चल रहे थे। 79 वर्षीय श्री शर्मा ने गुरुवार की शाम करीब सात बजे चंपानगर के नसरतखानी स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। कई सामाजसेवी व साहित्यकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
हिन्दी व अंगिका के बहूचर्चित कथाकार व साहित्यकार ज्योतिष चंद्र शर्मा बिहार रेशम एवं वस्त्र संस्थान, नाथनगर के कला संग्रहालय शाखा के प्रशासनिक पदाधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने नई दिल्ली के यंग फाक्स क्लब में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जो काफी चर्चित रही। इसके अलावा उन्हें सरकार द्वारा नंदलाल बोस कुलभास्कर, भेटरन आर्टिस्ट, दिनकर वरिष्ठ पुरष्कार (चाक्षुस कला लेखन), बिहार कला पुरष्कार, अंगरत्न सम्मान और कई मानद उपाधियां भी मिली थी। अंगिका और हिदी में कविता की कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखे थे। वे संवेदनशील, सृजनशील के साथ साथ एक कुशल पदाधिकारी भी थे। अपने साहित्यिक यात्रा के दौरान उन्होंने अंगिका भाषा में ऐतिहासिक कर्णगढ़, मंजूषा लोककला, मंजूषा चित्रकला, भारतीय मूर्तिकला में ललित तत्व, अंग धूलिका प्राचीन चंपा, बिहुला-विषहरी लोकगाथा जैसी कई महत्वपूर्ण रचनाएं की।