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1st Bihar Published by: DEEPAK RAJ Updated Wed, 13 Oct 2021 02:27:46 PM IST
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BAGAHA: बेटे के लालच में एक पिता इतना बेपरवाह हो गया कि उसने अपनी नवजात बेटी को साथ रखने से इनकार कर दिया। चौथी बेटी के जन्म लेने पर पिता ने उसे अस्पताल से ले जाने से ही मना कर दिया। इस दौरान बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में परिजनों के बीच घंटों हंगामा होता रहा। अस्पताल के बेड पर महिला रोती रही। महिला के आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पूछे जाने पर महिला ने बताया कि उसका पति बार-बार यह धमकी दे रहा है कि यदि बच्ची घर आई तो उसे जान से मार देंगे।
बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया जब गीता देवी नामक महिला ने बेटे की चाहत में एक बच्ची को जन्म दिया। गीता की यह चौथी बेटी है। गीता को पहले से तीन बेटियां है। चौथी बेटी के जन्म लेने की खबर जब उसके पति प्रदीप सहनी को लगी। तब वह गुस्से में आकर आत्महत्या की कोशिश करते हुए गांव के तालाब में कूद गया। स्थानीय लोगों ने काफी मशक्कत के बाद उसे तालाब से बाहर निकाला जिसके बाद उसकी जान बचायी जा सकी।
प्रदीप सहनी द्वारा ऐसा कदम उठाए जाने पर ग्रामीणों ने जब कारण पूछा तब उसने बताया कि वह चौथी बेटी का बाप बन गया है। जबकि उसे बेटे की चाहत थी। बेटे की चाहत पूरा नहीं होने पर उसने अपना जीवन समाप्त करने की सोची। प्रदीप सहनी की बात को सुनकर इलाके के लोग भी हैरान रह गये। उसे समझाया बुझाया कि इस पर किसी का बस नहीं चलता। बेटी भगवान का दिया हुआ वरदान है। बेटा और बेटी में अब कोई फर्क नहीं है। बेटी को ही अच्छे से पढ़ाई लिखाई कराए और उसे आगे बढ़ाए।
ग्रामीणों के समझाए जाने के बाद प्रदीप सहनी अपनी मां के साथ बगहा अनुमंडलीय पहुंच गया और नवजात बच्ची को देखते ही उसे घर ले जाने से इनकार कर दिया। गीता देवी की सास ने भी बच्ची को अपने साथ घर ले जाने से मना कर दिया। इस दौरान गीता देवी रोती बिलखती रही लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। गीता देवी की सास, पति प्रदीप सहनी और गीता देवी के परिजनों के बीच इस दौरान बेटी को घर ले जाने को लेकर काफी देर तक बकझक होती रही। गीता देवी ने जब भरोसा दिलाया कि वह बेटी का भरण पोषण करेगी। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन की सख्ती के बाद आखिरकार नवजात बच्ची को उसकी दादी अपने साथ घर ले गयी।
महिला का ससुराल बगहा के शास्त्रीनगर पोखरा टोला में है। इस मामले को देख अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन तो हैरान थे ही साथ ही महिला के ससुराल के आस-पास के लोग भी आश्चर्यचकित हो गये। लोग यह सोचने पर मजबुर हो गये कि इस तरह की सोच आज भी समाज में व्याप्त है जहां लड़का और लड़की के बीच भेदभाव बरती जा रही है। लड़का के जन्म पर लोग जश्न मनाते है तो वही लड़की के जन्म पर आंसू बहाते हैं। इस मामले में तो बच्ची को जान से मारने तक की बात सामने आ गयी। लोगों को ऐसी सोच को बदलने की जरूरत है। लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं होता यह लोगों को समझना होगा। यदि हम बिटिया को ठीक से पढ़ाएगे और उसे आगे बढ़ाएंगे तब वह किसी लड़के से कम थोड़े ही ना होगी। वर्तमान परिवेश में भी कुछ ऐसी मानसिकता के लोग है जो आज भी लड़कियों को बोझ समझते है उनकी इस सोच को बदलना होगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ेगा।

