बड़ी मुसीबत में फंस गये हैं तेजप्रताप यादव: थाने में दर्ज हुआ FIR, जा सकते हैं जेल

बड़ी मुसीबत में फंस गये हैं तेजप्रताप यादव: थाने में दर्ज हुआ FIR, जा सकते हैं जेल

SAMASTIPUR: लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव बड़ी मुसीबत में फंस गये हैं. तेजप्रताप यादव के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गयी है. तेजप्रताप यादव पर लगा आरोप गंभीर है, जिसमें उन्हें जेल की सजा भी हो सकती है.


समस्तीपुर में दर्ज हुआ मुकदमा

तेजप्रताप यादव फिलहाल समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं. उनके खिलाफ बुधवार को रोसड़ा थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है. तेजप्रताप यादव पर 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में गलत शपथ पत्र देने और अपनी संपत्ति छिपाने का आरोप लगा है. चुनाव आयोग के निर्देश पर ये एफआईआर दर्ज करायी गयी है. आयोग का निर्देश मिलने के बाद हसनपुर विधानसभा के निर्वाची पदाधिकारी और समस्तीपुर के प्रभारी भूमि सुधार उप समाहर्ता एसडीओ ब्रजेश कुमार ने एफआईआर दर्ज करायी है. उनके खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 क के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. 


तेजप्रताप ने संपत्ति छिपायी

निर्वाची पदाधिकारी ने थाने में दर्ज करायी प्राथमिकी में कहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव के सेकेंड फेज में तेजप्रताप यादव ने 13 अक्टूबर 2020 को 140 हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया था. नामांकन के दौरान तेज प्रताप यादव ने शपथ पत्र देकर अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था. तेजप्रताप यादव द्वारा शपथ पत्र में दिया गया संपत्ति का ब्योरा गलत निकला है. 


जेडीयू की शिकायत पर हुई थी जांच

दरअसल तेजप्रताप यादव द्वारा शपथ पत्र में संपत्ति छिपाने का आरोप जेडीयू ने लगाया था और इसकी लिखित शिकायत बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की थी. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जेडीयू के आवेदन को चुनाव आयोग को भेज दिया था. चुनाव आयोग ने आवेदन पत्र में लगाये गये आऱोपों की जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को निर्देश दिया था. सीबीडीटी ने इस मामले की पूरी जांच पड़ताल की और चुनाव आय़ोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी. 


जांच में सही पाया गया आरोप

सीबीडीटी ने अपने तीन पत्रों की जांच रिपोर्ट में कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 और 2020 के लिए तेज प्रताप यादव ने अलग अलग शपथ पत्र दायर किया था. दोनों शपथ पत्रों को देखने पर पता चलता है कि 2015 से 2020 के बीच तेजप्रताप यादव की चल औऱ अचल संपत्ति में 82 लाख 40 हजार 867 रुपए का इजाफा हुआ. लेकिन तेजप्रताप यादव ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में कुछ अलग ही ब्योरा दिया. वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2016-20 तक तेजप्रताप यादव की ओर से दाखिल किये गये इनकम टैक्स रिटर्न के हिसाब से उनकी कुल आय 22 लाख 76 हजार 220 ही है. जाहिर है तेजप्रताप ने सही जानकारी नहीं दी है. 


सीबीडीटी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जेडीयू ने अपने आवेदन में तेजप्रताप यादव की संपत्ति का जिक्र किया था जो गोपालगंज जिले में है. जेडीयू ने जिस संपत्ति का जिक्र किया था उसकी पुष्टि सब-रजिस्ट्रार ने की है. रजिस्ट्री के रिकॉर्ड में तेज प्रताप यादव के नाम पर वे सपत्ति पायी गयी हैं. लेकिन तेज प्रताप यादव के द्वारा चुनाव में दाखिल शपथ पत्र  में उल्लेखित परिसंपत्तियां उससे मेल नहीं खाती हैं. जाहिर है इसमें भी तेजप्रताप यादव की गड़बडी पकड़ी गयी.


चुनाव आयोग की नोटिस का नहीं दिया जवाब

सीबीडीटी की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद चुनाव आयोग ने तेजप्रताप यादव को नोटिस जारी किया था औऱ उनसे कहा था कि वे तीन हफ्ते में उसका जवाब दें. लेकिन तेजप्रताप यादव ने नोटिस का जवाब नहीं दिया. तेजप्रताप यादव का जवाब नहीं मिलने के बाद चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश जारी किया. आयोग ने समस्तीपुर के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी को पत्र लिखा था. डीएम के निर्देश पर हसनपुर विधानसभा के निर्वाची पदाधिकारी सह प्रभारी डीसीएलआर अनुमंडल पदाधिकारी रोसड़ा ने तेजप्रताप यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है।